Saturday, September 21, 2024

गायत्री जयंती पर लिया समरसता का संकल्प

जयपुर। गायत्री जयंती पर्व मंगलवार को ब्रह्मपुरी, वाटिका और कालवाड़ स्थित गायत्री शक्तिपीठ, जनता कॉलोनी के चेतना केन्द्र सहित विभिन्न प्रज्ञा केन्द्रों में भक्तिभाव से मनाया गया। किरण पथ मानसरोवर के श्री वेदमाता गायत्री वेदना निवारण केन्द्र में गायत्री जयंती और गंगा दशहरा पर्व सामाजिक समरसता दिवस के रूप में मनाया गया। गायत्री परिवार राजस्थान जोन के प्रभारी ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी उर्मिला राजोरिया, सामाजिक कार्यकर्ता महेन्द्र राजोरिया, राजस्थान खादी बोर्ड के सचिव ब्रजेश चांदोलिया अतिथि के रूप में उपस्थित थे। सभी ने गायत्री परिवार द्वारा देश भर में चलाए जा रहे कार्यक्रमों की सराहना की। व्यासपीठ से गिरधर गोपाल आसोपा ने कहा कि जिस प्रकार गंगा शरीर का मैल साफ करती है उसी प्रकार गायत्री मन का मैल धो देती है। इसलिए प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे बुद्धि निर्मल बनती है। शांतिकुंज प्रतिनिधि आर डी गुप्ता, सतीश भाटी, डॉ. प्रशांत भारद्वाज ने भी विचार व्यक्त किए। इस मौके पर श्रद्धालुओं को राष्ट्रीय एकता एवं समता के प्रति निष्ठावान रहने, जाति, लिंग, भाषा, प्रांत, संप्रदाय आदि के कारण परस्पर कोई भेदभाव न बरतने का संकल्प दिलाया गया। कार्यक्रम में समाज के सभी प्रमुख वर्ग के लोगों ने एक साथ बैठकर हवन और भोजन किया।
नौ कुंडीय यज्ञ के साथ हुए संस्कार: गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी में वेदमाता मां गायत्री का अभिषेक कर लाल रंग की नवीन पोशाक धारण कराकर ऋतु पुष्पों से मनोरम श्रृंगार किया गया। गायत्री परिवार के संस्थापक पं. श्री राम शर्मा आचार्य के महाप्रयाण दिवस के उपलक्ष्य में समाधि स्थल प्रखर प्रज्ञा और सजल श्रद्धा को भी फूलों और बांदरवाल से सजाया गया। यज्ञशाला में नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ किया गया। शक्तिपीठ के व्यवस्थापक सोहन लाल शर्मा ने बताया कि शांतिकुंज से आए राम सहाय शुक्ला और शक्तिपीठ के सह व्यवस्थापक मणि शंकर चौधरी ने गायत्री मंत्र के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रतिदिन इसका जप करने का आह्वान किया। दिनेश आचार्य ने प्रज्ञागीतों से माहौल को सरस बना दिया। प्रारंभ में देवी-देवताओं का आह्वान कर सोडशोपचार पूजन किया गया। गंगा दशहरा पर्व पर मां पतित पावनी का भी पूजन किया गया। इसके बाद अग्नि प्रज्जवलन कर सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने विश्व कल्याण की कामना के साथ यज्ञ देवता को आहुतियां अर्पित की। इस मौके पर विभिन्न संस्कार भी कराए गए। यज्ञ के बाद करीब एक हजार श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की।

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