दीक्षा लेना विशिष्ट भावना का द्योतक – मुनि श्री उदित कुमार जी
जैनेश्वरी दीक्षा धारण करना ही अंतिम लक्ष्य-अनीता दीदी
सबसे बड़ी व्यथा है ,सीमित शब्द और असीमित भावनाएं : अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी
तन औऱ मन का मिलन ही योग है – योगाचार्या गीता दीदी
विश्व की सबसे बड़ी स्फटिक मणी की प्रतिमा का पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव 30 नवम्बर से 5 दिसंबर तक
गलतियों के शोधन का नाम है उन्नति और पुनः वृत्ति नहीं करने का नाम है क्षमा :अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सांगर जी
टोंक तो हमारा गांव जैसा है, समाज हमारा परिवार : वैराग्य नंदी जी महाराज
आचार्य वैराग्यनन्दी महाराज का मंगल प्रवेश निवाई मे 26 को
पद्मप्रभु भगवान के महामस्तकाभिषेक एवं पंच परमेष्ठी विधान आयोजित हुआ
गम को मिटाने के लिए देव,शास्त्र गुरु का संगम जरूरी: आचार्य श्री सुनील सागर जी