Saturday, September 21, 2024

सांस्कृतिक

“टूटी कुर्सी”

किराए के मकान में रहते रहते रामास्वामी को कई वर्ष हो गए थे अब बच्चे भी बड़े हो गए थे और जिद करने लगे...

अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी के प्रवचन से…

आज कल, सबको सबके बारे में, सब कुछ पता है..पर स्वयं की अहमियत का बोध नहीं..! गलत फ़हमी और प्रतिशोध की आग अच्छे खासे जीवन...

वीर शासन जयंती-भगवान महावीर का प्रथम देशना दिवस

जैन धर्म अनादि, अनंत, शास्वत धर्म है। जैन धर्म के वर्तमान अवसर्पिणी काल के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ थे एवं अन्तिम 24वें तीर्थंकर वर्तमान...

‘आती जाती सरकारों से’

आती-जाती सरकारों से,अब क्या लेना?प्रलोभन के गलियारों से,अब क्या लेना?झूठे आश्वासनों के नारों से,अब क्या लेना?कपोल कल्पनाओं की चाशनी में,डूबे जुमलों की बौछारों से,अब...

अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी के प्रवचन से…

तीन बच्चे सब्ज़ी बेच रहे थे। एक सज्जन ने पूछा - बेटा, पालक है क्या-? बच्चों ने जवाब दिया - बाबू, पालक होते तो...

श्रेष्ठ बनें

देह थकी हो, या बीमारी,नींद न आये, हिम्मत हारी।योग दिलाये राहत भारी,हर बीमारी पर यह भारी।कमर दर्द हो, सिर हो भारी,जकड़न, तड़पन, ऐंठन भारी,हर...

‘बछड़े की व्यथा’

तड़प तड़प के मरता बछड़ा धरती मां से बोला हे ! मां ये असहनीय पीड़ा अब सही नहीं जाती, तू क्यों ? नहीं मेरे...

श्री जिनदत्त सागर जी क्षुल्लक महाराज

आचार्य गुरुवर श्री निर्भय सागर मुनिराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य श्री जिनदत्त सागर जी क्षु्ल्लक महाराज, जिन्होंने दीक्षा के समय अपने परिग्रह का त्याग करके...

‘माँ’ तू बहुत याद आई

जब छुट्टियों में, 'माँ' मैं घर आई,दरवाजे के बाहर तेरी जूतियां ना पाई,परिंडे से लेकर बाड़े तक,छत से लेकर चौबारे तक,तुझे ढूंढ आई पर...

खुद को समझना ही सबसे बड़ी समझदारी है: आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज के प्रवचन से

भारत गौरव साधना महोदधि सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज...

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