Sunday, September 22, 2024

धर्म की रक्षा हमारा कर्तव्य, धर्मरक्षा के बंधन बनाए मजबूत: इन्दुप्रभाजी म.सा.

जिनशासन के प्रति रखे श्रद्धा मुश्किल कार्य भी हो जाएंगे आसान: दर्शनप्रभाजी म.सा.

सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। असहाय एवं निर्बल की रक्षा करने के साथ हमे अपने धर्म की भी रक्षा करनी है। धर्म की रक्षा हमे स्वयं सजग एवं सचेत रहकर करनी होगी। हम ही हमारे धर्म की पालना नहीं करेंगे ओर नियमों की अनेदखी करेंगे तो धर्म की रक्षा नहीं हो सकती है। रक्षाबंधन पर्व हमे धर्म की रक्षा का बंधन भी मजबूत करने की प्रेरणा देता है। ये विचार भीलवाड़ा के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में शुक्रवार को मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने नियमित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने जैन दर्शन एवं धर्म के अनुसार रक्षाबंधन के महत्व पर चर्चा करते हुए बताया कि किस तरह कंपिलपुर के राजा विष्णुकुमार ने संयम जीवन स्वीकार करने के बाद जैन धर्म की रक्षा के लिए अपना र्स्वस्व झोंक दिया। विष्णुकुमार मुनि ने मास-मास खमण की तपस्या की ओर इतनी कठोर साधना से उन्हें कई विशिष्ट लब्धियां प्राप्त हो गई। उन्होंने कहा कि यदि हम समाज ओर धर्म की रक्षा नहीं करे ओर किस तरह का तप-त्याग भी नहीं करे तो जैन धर्म में जन्म लेना सार्थक नहीं हो सकता। धर्मसभा में मधुर व्याखयानी दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि हम कहने के लिए जैन हो जाए पर जिनशासन में श्रद्धा नहीं रखे तो जैन कहलाना सार्थक नहीं हो सकता। हमे अपने धर्म ओर दर्शन के प्रति श्रद्धा रखनी चाहिए। श्रद्धा एवं आस्था के साथ किया जाने वाला कार्य सफल होता है। बिना श्रद्धा के कोई भी कार्य करेंगे तो वह समुचित फल नहीं दे पाएगा। जिनशासन के प्रति श्रद्धा के कारण ही श्रावक-श्राविकाएं इतनी कठोर तप साधना कर पा रहे है। श्रद्धाभाव रखने से हमारे मनोबल में भी वृद्धि होती है ओर कई बार इसी के चलते मुश्किल लगने वाला कार्य भी आसान हो जाता है। कई तपस्वी जिनके बारे में ये मानते थे कि उपवास भी इनके लिए कठिन होगा पर उनकी अटूट श्रद्धा एवं समर्पण भाव के चलते वह अठाई या उससे भी बड़ी तपस्या सफलतापूर्वक पूर्ण कर लेते है। इसलिए हमारे धर्म के बारे में कोई कुछ भी कहे हमे अपनी श्रद्धा को कमजोर नहीं होने देना है। धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा., तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा., आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा., तरूण तपस्वी हिरलप्रभाजी म.सा. का भी सानिध्य रहा। धर्मसभा का संचालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया। अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त विकास समिति द्वारा किया गया। धर्मसभा में भीलवाड़ा शहर एवं आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे सैकड़ो श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

तपस्वियों का सम्मान, अनुमोदना में गूंजे जयकारे

रूप रजत विहार में गतिमान महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा के चातुर्मास में तपस्या की गंगा अविरल प्रवाहित हो रही है। इसके तहत शुक्रवार को धर्मसभा में सुश्राविका निर्मला मुरड़िया के 16 उपवास की तपस्या पूर्ण करते हुए प्रत्याख्यान लिए। सुश्राविका मोनिका बोहरा, पूनम संचेती, सपना तातेड़, रेखा कोठारी एवं सुश्रावक प्रवीण बोहरा ने बुधवार को 9-9 उपवास तप के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। इनमें से तपस्या पूर्ण करने पर तपस्वी निर्मला मुरड़िया, सपना तातेड़ एवं रेखा कोठारी का श्री अरिहन्त विकास समिति द्वारा स्वागत-सम्मान किया गया। तपस्वियो का सम्मान तप साधना का भाव जताने वाले श्रावक-श्राविकाओं ने किया। तपस्वियों की अनुमोदना में रूप रजत विहार में हर्ष-हर्ष, जय-जय के स्वर गूंजायमान हो उठे। साध्वीवृन्द ने तपस्वियों की अनुमोदना करते हुए कहा कि ऐसे तपस्वी जिनशासन का गौरव बढ़ा रहे है।

पर्युषण पर्व में तपस्या व सामायिक साधना के लिए विशेष कूपन

धर्मसभा में पूज्य दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि हमने 12 से 19 सितम्बर तक मनाए जाने वाले पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की तैयारियां शुरू कर दी है। तपस्या ओर सामायिक के लिए डायमण्ड, गोल्डन व सिल्वर कूपन भी जारी किए जाएंगे। प्रत्येक श्रावक- श्राविका को अपने घर के हर सदस्य के लिए कोई न कोई कूपन अवश्य प्राप्त करना है। इसके तहत पर्युषण में उपवास की अठाई पर डायमण्ड, आयम्बिल की अठाई पर गोल्डन व एकासन की अठाई पर सिल्वर कूपन मिलेगा। इसी तरह पर्युषण अवधि में 108 सामायिक पर डायमण्ड, 81 सामायिक पर गोल्डन एवं 51 सामायिक पर सिल्वर कूपन मिलेगा।

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