Saturday, November 23, 2024

कथनी व करनी में नहीं रहे अंतर, धर्म से जुड़ने पर ही जीवन का कल्याण: दर्शनप्रभाजी म.सा.

सांसारिक बंधन मुक्त होने पर ही प्राप्त कर सकते प्रभु को: चेतनाश्रीजी म.सा.

सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। हम ईश्वर को प्राप्त करना चाहते है तो सांसारिक बंधनों से मुक्त होना होगा। बंधन हमारे में मोह एवं राग उत्पन्न करते है। जितना जल्दी बंधन मुक्त होंगे उतना स्वयं को हल्का महसूस करेंगे ओर परमात्मा से जुड़ाव गहरा होगा। मरूधर केसरीजी के गुरूदेव महाश्रमण वचनसिद्ध श्री बुधमलजी म.सा. का जीवन श्रावकों के लिए प्रेरणादायी है। उनके जीवन से गुणों को अपना हम अपना कल्याण कर सकते है। ये विचार भीलवाड़ा के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में गुरूवार को श्री अरिहन्त विकास समिति के तत्वावधान में अष्ट दिवसीय गुरू द्वय पावन जन्मोत्सव के समापन दिवस पर महाश्रमण वचनसिद्ध श्री बुधमलजी म.सा. की जयंति गुणानुवाद समारोह में मरूधरा मणि महासाध्वी श्री जैनमति जी म.सा. की सुशिष्या महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. के सानिध्य में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. ने व्यक्त किए। उन्होंने खुशी जताई कि यहां बुधमलजी म.सा. की जयंति के साथ आठ दिवसीय गुरू द्वय पावन जन्मोत्सव का समापन एवं तपस्या का त्रिवेणी संगम हो रहा है। धर्मसभा में मधुर व्याखयानी दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि श्रावक का कल्याण धर्म से जुड़ने पर ही हो सकता है। आप संतों से भले न जुड़े पर धर्म से जुड़ जाए तो जीवन सार्थक हो जाएगा। हमारी कथनी व करनी में अंतर होने से साधना का फल भी नहीं मिलता है। महाश्रमण वचनसिद्ध श्री बुधमलजी म.सा. जैसे महापुरूषों का जीवन धन्य है जिन्होंने जिनशासन की समर्पित भाव से सेवा की ओर जिनके कारण मरूधर केसरी जैसे संतरत्न समाज को प्राप्त हुए। महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने कहा कि अष्ट दिवसीय गुरू द्वय पावन जन्मोत्सव का जप-तप-भक्ति के साथ भव्य समापन हो रहा है। इसके लिए आयोजक श्री अरिहन्त विकास समिति साधुवाद की पात्र है। संघ भले संख्या में छोटा है पर भावनाएं प्रबल होने से इतना सफल आयोजन हो पाया। धर्मसभा में तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने कहा कि श्रावक व्रत स्वीकार करने पर ही हम जिनशासन के सच्चे श्रावक हो सकते है। जब तक श्रावक व्रत स्वीकार नहीं करेंगे हमारा श्रावक कहलाना सार्थक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि रूप रजत विहार में 100 से अधिक श्रावकों द्वारा श्रावक व्रत स्वीकार करना अनुकरणीय एवं प्रेरणादायी है। धर्मसभा में तरूण तपस्वी हिरलप्रभाजी म.सा. ने भी विचार व्यक्त किए। धर्मसभा में आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा.का भी सानिध्य रहा। धर्मसभा के शुरू में पंच तीर्थंकर का जाप तत्वचिंतिका समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने सम्पन्न कराया। धर्मसभा में जैन कॉन्फ्रेंस व्ययावच्च योजना के प्रान्तीय अध्यक्ष मुकेश डांगी ने भी विचार व्यक्त किए। धर्मसभा में जैन कॉन्फ्रेंस महिला शाखा राष्ट्रीय अध्यक्ष पुष्पा गोखरू, पूर्व सभापति मंजू पोखरना आदि भी मौजूद थे। धर्मसभा का संचालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया। अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त विकास समिति द्वारा किया गया। इस अवसर पर लक्की ड्रॉ के माध्यम से चयनित 11 भाग्यशाली श्रावक-श्राविकाओं को पुरस्कृत किया गया। लक्की ड्रॉ के लाभार्थी श्री गुलाबचंदजी राजेन्द्रजी सुकलेचा परिवार रहा। महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. के मांगलिक के बाद पूज्य मरूधर केसरी श्री मिश्रीमलजी म.सा. एवं शेरे राजस्थान पूज्य रूपचंदजी म.सा. का मांगलिक श्रवण भी कराया। धर्मसभा में भीलवाड़ा शहर एवं आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे सैकड़ो श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

तप साधना की लगी होड़, गूंजे अनुमोदना के जयकारे

रूप रजत विहार में गतिमान महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा के चातुर्मास में तपस्या की गंगा प्रवाहित हो रही है। गुरू द्वय पावन अष्ट दिवसीय जन्मोत्सव भी तपस्या को समर्पित रहा। जन्मोत्सव के अंतिम दिन गुरूवार को धर्मसभा में सुश्राविका निर्मला मुरड़िया ने 15 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। जन्मोत्सव के तहत तेला तप साधना करने वाले तपस्वियों में से पांच श्रावक-श्राविकाओं प्रवीण बोहरा, मोनिका बोहरा, पूनम संचेती, सपना तातेड़, रेखा कोठारी ने तपस्या गतिमान रखते हुए बुधवार को अठाई तप के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। तपस्वियों की अनुमोदना में रूप रजत विहार में हर्ष-हर्ष, जय-जय के स्वर गूंजायमान हो उठे। महासाध्वी दर्शनप्रभाजी ने तपस्वियों की अनुमोदना करते हुए कहा कि जन्मोत्सव में 121 तेला तप कर भीलवाड़ावासियों ने समारोह की गरिमा बढ़ा दी।

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