जीवन पानी की बूंद के समान, आयुष्य पूर्ण होने से पहले धर्म कर लो: हिरलप्रभाजी म.सा.
सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। शरीर से संसार बढ़ता है जबकि आत्मा संसार को घटाती है। शरीर से हम कर्म बंध भी कर सकते ओर कर्म क्षय भी कर सकते है। ये हमारे हाथ में है कि हम शरीर का उपयोग किस तरह करते है। आत्मा को हल्का या भारी बनाना भी खुद के हाथ में है। कर्म निर्जरा कर आत्मा को हल्का बना सकते है। ये विचार भीलवाड़ा के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में सोमवार को श्री अरिहन्त विकास समिति के तत्वावधान में मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा. की 133वीं जयंति एवं एवं लोकमान्य संत शेरे राजस्थान रूपचंदजी म.सा. की 96वीं जयंति के उपलक्ष्य में अष्ट दिवसीय गुरू द्वय पावन जन्मोत्सव के पांचवें दिन मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. के सानिध्य में मधुर व्याख्यानी डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. ने धर्मसभा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जिन बनने के लिए निज को जानना होगा। निज की पहचान के बिना हम जैनत्व को नहीं समझ सकते। चार शरणा स्वीकार करने पर हम निज से जिन बन सकते है। हम चाहे तो पाप बढ़ा भी सकते ओर चाहे तो घटा भी सकते है। साध्वीश्री ने कहा कि शारीरिक शक्ति से महत्वपूर्ण आत्मशक्ति व मनोबल है। जिनका आत्मबल मजबूत होता है वह हर सफलता प्राप्त कर सकता है। महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने तप साधना कर रहे तपस्वियों को साधुवाद देते हुए कहा कि जीवन के कल्याण के लिए तप साधना जरूरी है। उन्होंने पूज्य गुरूदेव मरूधर केसरी मिश्रीमलीजी म.सा. द्वारा श्रमण संघ गठित करने एवं उसे मजबूत बनाने के लिए किए गए कार्यो की चर्चा करते हुए कहा गुरूदेव ने सम्प्रदायवाद से उपर उठकर इस बात का प्रयास किया कि सारे श्रावक-श्राविका एक हो जाए। धर्मसभा में तरूण तपस्वी हिरलप्रभाजी म.सा. ने कहा कि जीवन पानी की बूंद के समान है जब तक प्राणवायु चल रही है इसका उपयोग कर लो। हमारी आयु प्रतिपल घट रही है कब आयुष्य पूर्ण हो जाए कोई नहीं जानता। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन उठते ही माता-पिता के चरणस्पर्श करने की परम्परा भी खत्म होती जा रही जबकि इससे पुण्याजर्न होता है। हमारे भावों में पाप आने पर भी कर्मबंध होना शुरू हो जाते है। उन्होंने जन्मदिन मनाने के लिए आधी रात केक काटने ओर खाने-पीने की प्रथा को जैन दर्शन के विपरीत बताते हुए कहा कि हमारे धर्म में तो रात में पानी पीना भी मना है ओर हम रात में जश्न मना रहे है। हम बच्चों को जैनत्व के संस्कार नहीं देंगे तो वह सुश्रावक-सुश्राविका कैसे बनेंगे। उन्होंने गुरू आराधना में गीत की भी प्रस्तुति दी। धर्मसभा में आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. ने भजन ‘मैं तो जपू सदा तेरा नाम दयालु दया करों’ की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. एवं तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. का भी सानिध्य रहा। धर्मसभा में सुश्रावक रतन संचेती ने भजन की प्रस्तुति दी। धर्मसभा का संचालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया। अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त विकास समिति द्वारा किया गया। इस अवसर पर लक्की ड्रॉ के माध्यम से चयनित 11 भाग्यशाली श्रावक-श्राविकाओं को पुरस्कृत किया गया। लक्की ड्रॉ के लाभार्थी श्री गुलाबचंदजी राजेन्द्रजी सुकलेचा परिवार रहा। धर्मसभा में भीलवाड़ा शहर एवं आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे सैकड़ो श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।
रूप रजत विहार में तप साधना की लगी होड
रूप रजत विहार में पहली बार हो रहे चातुर्मास में तपस्या की गंगा प्रवाहित हो रही है। सोमवार को धर्मसभा में सुश्राविका निर्मला मुरड़िया ने 12 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। तपस्वी की अनुमोदना में हर्ष-हर्ष, जय-जय के स्वर गूंजायमान हो उठे। गुरू द्वय पावन अष्ट दिवसीय जन्मोत्सव के तहत तेला तप साधना करने वाले तपस्वियों में से कुछ श्रावक-श्राविकाओं पारणा नहीं करके तपस्या गतिमान रखते हुए सोमवार को पांच-पांच उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। इनके अलावा कई श्रावक-श्राविकाए उपवास, एकासन, आयम्बिल आदि तप साधना भी कर रहे है।
पर्युषण पर्व में तपस्या व सामायिक साधना के लिए विशेष कूपन
धर्मसभा में पूज्य दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि हमने 12 से 19 सितम्बर तक मनाए जाने वाले पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की तैयारियां शुरू कर दी है। तपस्या ओर सामायिक के लिए डायमण्ड, गोल्डन व सिल्वर कूपर भी जारी किए जा रहे है। प्रत्येक श्रावक-श्राविका को अपने घर के हर सदस्य के लिए कोई न कोई कूपन अवश्य प्राप्त करना है। इसके तहत पर्युषण में उपवास की अठाई पर डायमण्ड, आयम्बिल की अठाई पर गोल्डन व एकासन की अठाई पर सिल्वर कूपन मिलेगा। इसी तरह पर्युषण अवधि में 108 सामायिक पर डायमण्ड, 81 सामायिक पर गोल्डन एवं 51 सामायिक पर सिल्वर कूपन मिलेगा।
उवसग्गहरं स्तोत्र जाप का आयोजन
अष्ट दिवसीय गुरू द्वय पावन जन्मोत्सव के तहत सोमवार को प्रवचन से पूर्व सुबह 8.30 बजे से उवसग्गहरं स्तोत्र जाप का आयोजन किया गया। इसके माध्यम से तीर्थंकर प्रभु पार्श्वनाथ की आराधना की गई। जाप के माध्यम से सर्वमंगल एवं कष्ट निवारण की कामना की गई। जाप मधुर व्याख्यानी डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. ने सम्पन्न कराया। जाप में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं शामिल हुए।
श्री घंटाकर्ण महावीर जाप एवं श्रावक व्रत प्रतिज्ञा कल
मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा. की 133वीं जयंति एवं एवं लोकमान्य संत शेरे राजस्थान रूपचंदजी म.सा. की 96वीं जयंति के उपलक्ष्य में अष्ट दिवसीय गुरू द्वय पावन जन्मोत्सव के तहत मंगलवार 29 अगस्त को सुबह 8.30 बजे से श्री घंटाकर्ण महावीर जाप एवं श्रावक की 12 व्रत प्रतिज्ञा कार्यक्रम होंगा। इसी तरह 30 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व मनाने के साथ गुरू मिश्री गुणानुवाद होगा। जन्मोत्सव का समापन 31 अगस्त को महाश्रमण वचनसिद्ध श्री बुधमलजी म.सा. की जयंति मनाने के साथ होगा।