गुंसी, निवाई। गुरुमां विज्ञाश्री माताजी ने श्रद्धालुओं को संबोधन देते हुए कहा कि- कभी कभी बीमारी भी बहुत अच्छी होती है। बीमारी से पहला फायदा तो यह कि अहंकार टूटता है। अच्छे – अच्छे गामा पहलवान, जैसी हस्तियां बीमारी में ढेर हो जाती है। दूसरा फायदा आदमी को पहली बार परिजनों की कद्र मालूम होती है। तीसरा फायदा अपने पराये का ज्ञान होता है। बीमारी स्वार्थ और प्रेम का भेद कराती है। बीमारी प्रभु की याद दिलाती है। गुरु माँ के मुखारविन्द से आज की शान्तिधारा करने का सौभाग्य महावीर जी सेवा वाले, धर्मचन्द पराणा वालों ने प्राप्त किया। गुरु माँ के सान्निध्य में श्री शांतिनाथ मंडल विधान रचाने का सौभाग्य नेमीचंद पाटनी निवाई वालों ने प्राप्त किया। शाम को प्रभु भक्तों ने मिलकर शांतिप्रभु महाआरती कर स्वयं को धन्य किया।