सुनिल चपलोत/चैन्नाई। डरना है तो अपने अशुम कर्मो से डरो भगवान से मत डरो। शुक्रवार श्री एस.एस. जैन भवन के मरूधर केसरी दरबार मे महासती धर्म प्रभा ने सैकड़ों श्रध्दांलूओ को धर्मसभा मे धर्म उपदेश प्रदान करतें हुए कहा कि मनुष्य को भगवान से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि कर्म हमारे अशुभ है तो भगवान भी हमे संसार तिरा नहीं पाएंगे। जीवन मे सुख और दुःख जो आते हैं वो हमारे कर्मो के आधार पर ही आते है। शुभ कर्म का फल सुख के रूप में और अशुभ व पाप कर्म का फल दुःख के रूप में अलग अलग भोगना पड़ता है। बिना भोगे कोई कर्म छूटता वा क्षय को प्राप्त नहीं होने वाला है। भगवान से डरने के बजाय,अगर हम हमारी गलतियों से हमे डरना चाहिए। भगवान हमें सजा नहीं देते है।बल्कि कर्म हमारे हमे सजा देते है।
जिन्दगी की राहें आसान नहीं है इसमें सुख है तो दुख भी,आनंद है तो चिन्ता भी अपनापन है तो परायापन भी।हमे सत्कर्मों का आचरण तथा असत् कर्मों का त्याग करेगे तो हमारी यह आत्मा पवित्र और पावन बन जाएगी। साध्वी स्नेहप्रभा ने उत्ताराध्ययन सूत्र के पांचवें अध्याय का वांचन करते हुए कहा कि जो मनुष्य अन्याय और अनिती एवं अधर्म के मार्ग पर चलतें है ऐसे व्यक्ति कि आत्मा नरक मे अलग -अलग स्थानों मे भंयकर वेदनाओं को अंनत बार दुःखो और कृष्टो को भोगती है। कर्मो के पास न कागज और ना ही कौई किताब लेकिन हर अच्छे और बुरे कर्म का हिसाब परमात्मा के वहा होता है।संसार मे कर्म प्रधान है इसके आधार पर ही आत्मा को सुख और दुःख भोगने पड़तें है। इसदौरान साध्वी धर्मप्रभा से पांच उपवास के कही भाई और बहनों ने प्रत्याख्यान लिए। तपस्वीयों और अतिथीयो का श्री एस.एस. जैन संघ के अध्यक्ष अध्यक्ष एम.अजितराज कोठारी, कार्याध्यक्ष महावीरचन्द सिसोदिया, सज्जन राज सुराणा, हस्तीमल खटोड़, रमेश चन्द दरडा, सुरेश डूगरवाल, महावीर कोठारी, माणकचन्द खाबिया, बादलचन्द कोठारी, देवराज लुणावत, शम्भूसिंह कावड़िया, अशोक सिसोदिया, ज्ञान चौरड़िया आदि पदाधिकारीयो सभी का स्वागत अभिनन्दन किया ।