उदयपुर। गणेश चतुर्थी का पर्व आने वाला है, इसे लेकर हर साल की भांति घर गली मोहल्ले में अनेक स्थानों पर छोटी बड़ी भगवान गजानन की मूर्तियां स्थापित होकर गणपति बप्पा मोरया के स्वर भी गूंजते सुनाई देंगे। इस खास मौके के लिए ज्यादातर स्थानों पर प्लास्टर ऑफ पेरिस तथा रासायनिक रंगों से निर्मित प्रतिमाओं को पूजित कर झील तालाबों में विसर्जित किया जाता है। इससे पूरे पर्यावरण पर दुष्प्रभाव तो पड़ता ही है साथ ही नई पीढ़ी भी सनातन संस्कृति और पारंपरिक पूजा पद्धति से विमुख हो जाती है। यह विचार रविवार को भूपालपुरा स्थित महाराष्ट्र भवन सभागार में मूर्ति कला विशेषज्ञ कृष्ण केशव काटे ने व्यक्त किए। वे मार्तंड फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित कच्ची माटी से गणपति निर्माण कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों से रूबरू हुए। काटे के दिशा निर्देशन में बीसियों छोटे बड़े प्रतिभागियों ने मिट्टी से प्रथम पूज्य के आकार को साकार रूप देकर फूल पत्तियों से उनका श्रृंगार करते हुए प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली।…..
ये सब बने भागीदार
इस खास मौके पर विलास किरण जानवे, योगाचार्य सुरेश पालीवाल, कृष्णा पालीवाल, आराहन आगाल, अद्वैत महाजन, डॉ. मनोज महाजन, राम, शॉन और पायल संगीडवार, प्रदत्त और अभिव्यक्ति ताम्हनकर, नीलेश नाथ, शिवांग महाजन, पुष्कर, परी और जसवंत कुमावत, वृष्टि, नमस्वी, श्रेयस, दीप्ति, अनीता सायखेडकर, मिलिंद और अनघा वरणगावकर, किंजल नेवे, मिलिंद और अर्चना भातोड़कर अन्य कई प्रतिभागियों ने माटी के विविध रूप में गजानन बनाए।
रिपोर्ट/फोटो : राकेश शर्मा ‘राजदीप’