विमल जोला/निवाई। जैन मुनि शुद्ध सागर जी महाराज ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि समाधि के लिए ज्ञान का होना आवश्यक है।जो जितना ज्ञानी होगा उसकी समाधि उत्कृष्ट होगी। यह बात मुनि श्री ने रविवार को बिचला जैन मंदिर शांतिनाथ भवन मे कही उन्हौने ने कहा कि भगवान पर श्रद्धान करना लेकिन भगवान के भरोसे मत रहना। तेरा परिणम तेरे अनुसार होगा।समाधि के लिए अपने मे लीन होना पड़ता है। उन्होने यह भी कहा कि सच्ची श्रद्धा का नाम ही धर्म है। अपनी श्रद्धा सम्यक बनाकर के काम करेगा तो नियम से मोक्ष होगा। अपनी आत्मा मे लगी हुई कर्म रूपि कालिमा को पोछेगा तब तेरा कल्याण होगा। हे जीव वस्तु स्वरूप को समझ।जब तक तु कर्तव्य भाव को नही छोडेगा तब तक तेरी समाधि नही होगी। व्यक्ति अपनी इच्छाओ का दमन कर देगा उसी दिन से तेरी समाधि चालु हो जाएगी।इच्छा जब तक बेठी है तब तक कोई व्रती नही बन सकता।समाधि के लिए सबसे पहले इच्छाओ का अभाव करना पडेगा। अन्तरंग मे विश्वास बना कि मे अकेला आया हू अकेला जाऊगा।मेरी चेतन्य आत्मा कल्याण का साधन है। चातुर्मास कमेटी के प्रवक्ता राकेश संघी ने बताया कि प्रवचन से पूर्व मंगलाचरण नंद लाल चौधरी ने किया। इसके बाद आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज के चित्र के समक्ष दीपप्रज्जवलन समाज के श्रद्धालु द्धारा किया गया। संघी ने बताया कि सुबह सर्वप्रथम शुद्ध सागर जी महाराज के सानिध्य मे भगवान शांतिनाथ की शांतिधारा के साथ कलशाभिषेक किया गया। तत्पश्चात चोबीस तीर्थकर के अर्ध चढाकर नित्य नियम पूजा के साथ मुलनायक शांतिनाथ भगवान की विशेष पूजा अर्चना हुई। जिनवाणी स्तुति अजीत काला ने की। प्रवचन के बाद मुनि श्री का आहार हुआ। इस अवसर पर अध्यक्ष हेमचन्द संघी शिखर चन्द काला पदम पराना मोहन लाल चवरियां त्रिलोक चन्द हरभगतपूरा महेन्द सुनारा संजय प्रेस नवरत्न टौग्या पदम पीपलू त्रिलोक रजवास तारा चन्द मोदी रामलाल शाह पुनीत संघी शम्भु कठमाना सहित अनेक लोग मौजूद थे।