सुनिल चपलोत/चैन्नाई। दूसरों मे अवगुण और दोष निकालना आसन पर परन्तु इंसान स्वंय के दोषों नहीं देखता है। शनिवार को साहूकार श्री एस.एस. जैन भवन में महासती धर्मप्रभा ने श्रध्दांलूओ को सम्बोधित करतें हुए कहा कि दुनिया मे ऐसा कोई इंसान नहीं, जिसमें सिर्फ गुण ही गुण हो और कोई दोष न हो। संसार में ऐसा होई नहीं सकता है कि किसी के अंदर सिर्फ दोष ही हों कोई गुण न हो। व्यक्ति को चाहिए कि दूसरों के गुणों को देखे, उनमें दोष न ढूंढे। दोष ढूंढने ही हैं तो अपने अंतर्मन में झांकें। अपने अंदर के दोष दूर करके अच्छा इंसान बनने का व्यक्ति प्रयत्न करेगा तो जीवन में सफलता को प्राप्त कर सकता है। निंदक और अवगुणी व्यक्ति सब मे अवगुण देखता है । वो कभी किसी मे गुण नही देख सकता है और किसी का भी भला नही कर सकता है। क्योंकि जिसके स्वभाव और विचारों मे नकारात्मकता का जहर भरा हुआ रहता है। उसमे सबमे बुराईयां नजर आती है। जबकि सहज और सरल गुणी के व्यक्ति दूसरों मे कमीया नहीं निकालते है बल्कि अपनी गलतियों को सुधारते है । जिस दिन इंसान स्वंय आपको जान और पहचान लेगा वह दूसरों मे अवगुण निकालना बंद कर देगा । साध्वी स्नेहप्रभा ने उत्ताराध्ययन सूत्र के पांचवें अध्याय का वांचन करते हुए कहा कि अज्ञानी पुरूष हर इंसान मे दोष निकालता है। और सभी को दुःख ओर मन को ठेस पहुचाता है ऐसे व्यक्ति का जीवन केवल दूसरों मे कमियां निकालने मे गुजार देते है ना खुद सुखी रहते है और ना ही दूबरो सुखी रहने देतें है। ऐसे मनुष्य जीवन मे कभी आगे नहीँ बढ़ सकते है। जीवन मे सफलता उन्ही व्यक्तियों को मिलती है जो अपनी गलतियों और कमियों को स्वीकार करके उन्हें दूर करते है। इसदौरान धर्म सभा मे अनेक उपनगरों और बावन बाजार के श्रध्दालुओं के साथ श्री एस. एस. जैन संघ साहूकार पेठ के अध्यक्ष एम.अजितराज कोठारी, सज्जनराज सुराणा,महावीरचन्द कोठारी, सुरेश डूगरवाल,हस्तीमल खटोड़ सुभाषचन्द काकलिया, बादलचन्द कोठारी,ज्ञानचन्द चौरड़िया, कमल खाब्या,अशोक सिसोदिया और श्री एस.एस. जैन संस्कार महिला शाखा के महिला पदाधिकारियों की धर्मसभा मे और एकासन व्रत मे उपस्थित रही और सभी एकासन व्रत सेवाएं प्रदान की।