जयपुर। गुलाबी नगरी जयपुर में आचार्य गुरुवर श्री सुनील सागर महा मुनिराज अपने संघ सहित भट्टारक जी की नसिया में चातुर्मास हेतु विराजमान है। प्रातः भगवान जिनेंद्र का जलाभिषेक एवं पंचामृत अभिषेक हुआ , महाराष्ट्र से पधारे श्रावको ने पूजा कर अर्घ्य अर्पण किया। पश्चात शांति धारा पूज्य आर्यिका माताजी के श्री मुख से उच्चारित हुई सभी जीवो के लिए शान्ति हेतु मंगल कामना की गई। सन्मति सुनील सभागार में , डा. शीला जैन ,राजस्थान जैन सभा के अध्यक्ष सुभाष जैन व पधारे हुये महानुभावों ने अर्घ्य अर्पण कर चित्र अनावरण करते हुए दीप प्रज्वलन कर धर्म सभा का शुभारंभ किया। उक्त जानकारी देते हुए चातुर्मास व्यवस्था समिति के प्रचार मंत्री रमेश गंगवाल ने बताया कि मंगलाचरण हर्शिल बोहरा ने किया।
मंच संचालन इन्दिरा बडजात्या ने किया ।चातुर्मास व्यवस्था समिति के मुख्य संयोजक रूपेंद्र छाबड़ा, राजेश गंगवाल ने बताया कि आचार्य भगवंत के चरण पखारने का सौभाग्य स्वरा जैन,पिंकी देवी,रमेश बघेरिया पारसोला के अतिथियों को प्राप्त हुआ। आचार्य श्री को जिनवाणी शास्त्र भेंट किया गया। पूज्य गुरुदेव के अवतरण दिवस पर गुरुवर की पूजा सभी भक्तों ने नाचते गाते झूमते हुए की । पूज्य गुरुवर ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा हम जलं निर्वपामीति कहते हैं इसका अर्थ है हे भगवान हम विशुद्ध हजाये, हमारे जन्म मरण का नाश हो। बार बार दिन ये आए , पर क्यों आए जिओ हजारों साल,पर एसे जीने से कोई मतलब नहीं है परन्तु यह समझो कैसे जीयें इसका महत्व है। चार दिन की संयम की जिंदगी भी भवपार लगा देती है और विषयों में फंसी हजार साल की जिंदगी भी भव भ्रमण से मुक्त नहीं करा सकती है ।
आप 40 वर्ष की उम्र में यहां की यहां बैठे हो और प्रभु वर्धमान स्वामी तो 42 वर्ष की अवस्था में केवल ज्ञानी बन गए थे। जन्मदिन मनाना क्या है जन्मदिन मनाना तो भव भव के भ्रमण को आमंत्रण देना है भव का अभिनन्द नहीं करना है आत्मा का अभिनंदन करना है,अंतर्मुख होकर आत्मा का अभिनंदन करो ।अरहंत भगवान की वैल्यू को देखकर अपनी वैल्यू को देखो तुलना करो। दुनिया की उपलब्धियां हो एक दिन मिट्टी में मिल जाएगी जब वास्तव में तुलना कर लेंगे तो हमारा भ्रम हट जाएगा मोक्ष मार्ग पर जाने की योग्यता समझ में आ जाएगी। देव शास्त्र गुरु के समक्ष क्यों जाते हैं आप समझिये आप का सौभाग्य है कि आप को देव शास्त्र गुरु की भक्ति का आपको मौका मिला है। जब चाय बेचने वाले देश के प्रधानमंत्री बन सकते हैं, तो आप भी गुरु शास्त्र और भगवान की भक्ति कर मोक्ष मार्ग पर अग्रसर हो सकते हैं और भगवान बन सकते हैं राग द्वेष मिटाने के लिए निरंतर जागने की जरूरत हैपवित्र जिनवाणी हम सभी के जीवन को पवित्र करें।