Monday, November 25, 2024

जीवन मे सत्य का समावेश हो जाए तो मनुष्य परमात्मा को प्राप्त कर सकता है: महासती धर्मप्रभा

सुनिल चपलोत/चैन्नाई। सत्य ही भगवान है। शुक्रवार को साहूकार पेठ के जैन भवन में महासती धर्मप्रभा ने तपस्वीयों और एकासन व्रत करने वाले सैकड़ों बहनों एवं श्रध्दांलूओ को धर्म उपदेश देतें हुए कहा कि जीवन मे सत्य का समावेश हो जाए तो मनुष्य परमात्मा को प्राप्त कर सकता है। और अपने जीवन मे सुंगध भर सकता है। सत्य के बिना वास्तविकता में संसार मे कुछ भी नहीं है। जहां सत्य है, वहां ज्ञान है, जहाँ सत्य नहीं, वहाँ ज्ञान भी नहीं होगा। सत्य के बिना जीवन में किसी भी सिद्धांत या नियम का पालन करना असंभव है।क्योंकि सत्य ही शास्वत है और भगवान भी लेकिन मनुष्य सत्य को जानता है परन्तु फिर भी स्वीकारता नहीं है। सत्य को प्राप्त करने के लिए अत्यधिक मूल्य चुकाना पड़ता है वहीं सत्य को प्राप्त कर लेने से हम अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर लेते हैं जिससे मानवता का आधार मजबूत होता है और मानव मात्र पर विश्वास टिका रहता है क्योंकि जहाँ सत्य नहीं होता वहाँ आराजकता और अन्याय अपना मुँह उठाते हैं। सत्यवादी को सब सिध्दीया प्राप्त होती है सत्य भाषण से प्रतिष्ठा प्राप्त होती है जैन दर्शन मे जिस महान सत्य कि घोषणा कि गई है वह सत्य अनेकांतवाद जीनवाणी कहती है सर्वगुण सम्पदाएँ सत्यवक्ता में आ जाती है। साध्वी स्नेहप्रभा ने उत्ताराध्ययन सूत्र का वांचन करते हुए कहा कि इन्द्रियो मे आश्क्त मनुष्य सत्य को देखता और जानता हुआ भी उसे झूठ लाने का प्रयास करता है। क्यों मनुष्य मोहान्ध होकर अन्याय और कपट के मार्ग को अपना लेता है,और धर्म के मार्ग से विमुख हो जाता है। जिस कारण से वो जीव इस लोक और परलोक मे क्लेश और कष्टों का भागी बनता हैं। उसकी धारणा होती है जब तक जीओ सुख से जीओ चाहे उसको ऋण भरना पड़े जीवन मगर एशो आराम से जिना है क्योंकि ना कौई पुनरागमन है ना हि कौई परलोक। श्री एस.एस जैन संघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने बताया इसदौरान एकासन व्रत करने वाले सभी तपस्वीयो ने श्री संघ के पदाधिकारीयो मे अध्यक्ष एम.अजितराज कोठारी, सज्जनराज सुराणा, हस्ती मल खटोड़, सुरेश डूगरवाल, बादलचन्द कोठारी, जितेन्द्र भंडारी, महावीर कोठारी, अशोक सिसोदिया पदमचन्द ललवानी, मोतीलाल ओस्तवाल, देवराज कोठारी, शांति लाल दरडा एवं महिला मंडल की उपस्थिति मे एकासन करने वालो ने महामंत्र नवकार का सामूहिक जाप करके साध्वी स्नेहप्रभा से महामंगल पाठ लेकर साहूकार पेठ मे सभी ने एक साथ एकासन व्रत किये।

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