Saturday, September 21, 2024

भगवान महावीर की तरह ध्यान एवं तपस्या को समर्पित है आचार्य शिवमुनि का जीवन-समकितमुनि

स्थानकवासी परम्परा में सर्वाधिक उदारता रखने वाला संघ है श्रमण संघ

तप-त्याग के साथ मनाया गया आचार्य डॉ शिवमुनिजी म.सा. का 81वां जन्मोत्सव

भीलवाड़ा। सुनील पाटनी । परमात्मा भगवान महावीर के जीवन का आधार ध्यान एवं तपस्या थे। इसी ध्यान एवं तपस्या के बलबुते उन्होंने सबकुछ हासिल किया। श्रमणसंघीय आचार्य डॉ. शिवमुनिजी म.सा. के साधनाकाल को देखे तो उनके जीवन में भी यहीं दो बाते ध्यान एवं तपस्या निकल कर आती है। ध्यान साधना में रत रहने के साथ लंबे समय तक वर्षीतप आराधना की है। श्रमण संघ का नेतृत्व व मार्गदर्शन करते हुए एकान्तर तपस्या कठिन है लेकिन वह साधना के बलबुते पर ऐसी कठिन तपस्या भी आराम से कर रहे है। ये विचार श्रमणसंघीय सलाहकार सुमतिप्रकाशजी म.सा. के सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने शांतिभवन में रविवार को शांतिभवन में रविवार को श्रमण संघीय आचार्य सम्राट डॉ. शिवमुनिजी म.सा. का 81वां जन्मोत्सव के अवसर पर गुणानुवाद करते हुए व्यक्त किए। आचार्यश्री का जन्मोत्सव तप-त्याग आराधना के साथ मनाया जाएगा। इस अवसर पर तीन सामायिक की आराधना करने के साथ सामूहिक एकासन तप का आयोजन किया गया। धर्मसभा में मुनिश्री ने आचार्य शिवमुनिजी का पूरा जीवन प्रेरणादायी बताते हुए कहा कि जो एक बार साधना में लग जाता है वह दुनिया में रहकर भी दुनिया के बीच नहीं होता है। श्रमण संघ का सौभाग्य है कि उसे ऐसे ध्यान योगी एवं साधक आचार्य मिले है। उन्होंने आचार्यश्री के संयम जीवन के बारे में भी जानकारी दी। पूज्य समकितमुनिजी ने कहा कि स्थानकवासी समाज में सबसे बड़ा संघ श्रमण संघ है लेकिन उसकी दृष्टि सबसे उदार है किसी तरह का अभिमान नहीं है। श्रमण संघ के साधु, साध्वी, श्रावक,श्राविका चारों उदार दृष्टिकोण रखने वाले है। श्रमण संघ के सभी महापुरूषों ने एक ही संदेश दिया कि अपनी उदारता कभी कम न हो। श्रमण संघ के वर्तमान नायक आचार्य सम्राट डॉ. शिवमुनि बड़े पद पर प्रतिष्ठित होकर भी मन में किसी तरह का अभिमान नहीं रखते है। मुनिश्री ने आचार्यश्री के लिए मंगलकामनाएं व्यक्त की। धर्मसभा के शुरू में गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने आचार्य शिवमुनि की स्तुति में गीत ‘मेरे सतगुरू देना मुझको सहारा’ पेश किया। धर्मसभा में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य रहा। धर्मसभा में चित्तौड़गढ़ से आई जैन दिवाकर महिला परिषद की सदस्यों ने गीतिका प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत शांतिभवन श्री संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र चीपड़ ने किया। धर्मसभा का संचालन करते हुए शांतिभवन श्रीसंघ के मंत्री राजेन्द्र सुराना ने भी संघ की ओर से आचार्यश्री के जन्मोत्सव पर बधाई देते हुए शुभकामनाएं व्यक्त की।

ओपन बुक एग्जाम का परिणाम घोषित, नई पुस्तक का विमोचन

धर्मसभा में पूज्य समकितमुनिजी म.सा. की पुस्तक के आधार पर लिए गए ओपन बुक एग्जाम का परिणाम घोषित किया गया। इसके साथ ही नए ओपन बुक एग्जाम के लिए समकितमुनिजी म.सा. के चित्तौड़गढ़ चातुर्मास के प्रवचनांश के आधार पर तैयार पुस्तक ‘‘सीक्रेट ऑफ वैलनेस’’ का विमोचन भी किया गया। विमोचन शांतिभवन श्रीसंघ के संरक्षक सुरेन्द्र सुराना, अध्यक्ष राजेन्द्र चीपड़, मंत्री राजेन्द्र सुराना, वित्त संयोजक मनोहरलाल सूरिया, उपाध्यक्ष सुरेश सिंघवी, महिला मंडल की मंत्री सरिता पोखरना, महावीर युवक मंडल के अध्यक्ष प्रमोद सिंघवी, राजस्थान जैन कॉन्फ्रेंस महिला शाखा की महामंत्री चंदा कोठारी, नीतू चौरड़िया, जैन दिवाकर महिला परिषद चित्तौड़गढ़ की अध्यक्ष अंगूरबाला भड़कत्या आदि ने किया। श्रीसंघ के मंत्री राजेन्द्र सुराना ने ओपन बुक एग्जाम का परिणाम घोषित करते हुए बताया कि इसमें करीब 2300 श्रावक-श्राविकाएं शामिल है। प्रथम स्थान पर 300 में से 300 अंक प्राप्त करने वाले 9 परीक्षार्थी रहे तो द्वितीय स्थान पर 299 अंक प्राप्त करने वाले 12 परीक्षार्थी रहे। तृतीय स्थान पर 298 अंक प्राप्त कर 22 परीक्षार्थी रहे। प्रथम तीन स्थान पर आने वाले परीक्षार्थियों में से वहां मौजूद थे उनको श्रीसंघ के अध्यक्ष राजेन्द्र चीपड़, संरक्षक सुरेन्द्र सुराना ने पुरस्कार दिया। ओपन बुक एग्जाम का संचालन चित्तौड़गढ़ की जैन दिवाकर महिला परिषद ने किया एवं उसके पदाधिकारियों ने ही उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करने के साथ पूरा परिणाम तैयार किया। पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने बताया कि परीक्षा देने वाले सभी श्रावक-श्राविकाओं तक सांत्वना पुरस्कार के रूप में विमोचन की गई पुस्तक 5 अक्टूबर तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।

नौ वर्षीय अर्हम ने की तेला तप साधना

धर्मसभा में उस समय हर्ष-हर्ष, जय-जय के जयकारे गूंज उठे जब 9 वर्षीय बालक अर्हम सुराना ने माता संगीता सुराना के साथ पूज्य समकितमुनिजी से तेला तप के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। इतनी छोटी उम्र में तपस्या करने वाले अर्हम का साथ उसकी माता भी तेल तप साधना करके दे रही है। मुनिश्री ने बालक अर्हम सहित पूरे परिवार के लिए मंगलकामनाएं की। अर्हम का शांतिभवन श्रीसंघ की ओर से भी सम्मान किया गया।

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