भीलवाड़ा। अज्ञान शुत्र है, ज्ञान मनुष्य का हितेषी है। बुधवार को अहिंसा भवन शास्त्री नगर मे महासती प्रितीसुधा ने श्रध्दांलूओ को धर्म उपदेश देतें कहा कि अज्ञान मनुष्य को निराश और पतन के मार्ग पर ले जाता है जबकि ज्ञान आत्मिक उन्नति का पर्याय बनकर जीवन समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नयन की आधारशिला रखता है।ज्ञान मनुष्य को तृप्ति, संतोष, आनंद, शांति व निर्भयता का दान देता है, जबकि मनुष्य का अज्ञान, अतृप्ति, असंतोष, अशांति व जीवन मे भय को जन्म देता है। ज्ञान वो प्रकाश हो जो हमारे जीवन से अंधकार को मिटाता और सत्य का प्रकाश हमे ज्ञान से ही प्राप्त हो सकता है सत्य और असत्य का भेद हमे ज्ञान से मिलेगा। जबकि अज्ञान से जीवन मे अंधकार मिलने वाला है। साध्वी साध्वी संयम सुधा ने कहा कि ज्ञान और अज्ञान जीवन मे नदी के दो तट कि तरह हैं। एक का उद्देश्य जीवन-लक्ष्य की खोज है तो दूसरे का जीवन के लक्ष्य से भटकाव। ज्ञान से पुण्य का उदय होता है, जबकि अज्ञान, पाप व भय को जन्म देता है।ज्ञान वो दिपक है,जो हमारे जीवन का अंधकार को दूर कर सकता है। अंधकार हमारे जीवन मे अंधकार फैलाता है। निलिष्का जैन बताया कि साध्वी प्रितीसुधा के सानिध्य और अहिंसा भवन के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह बाबेल, अशोक पौखरना, नवरतन मल बम्ब, हेमन्त आंचलिया, कूशलसिंह बूलिया, रिखबचंद पीपाड़ा, लक्ष्मण सिंह पोखरना,हिम्मत सिंह बाफना, ओमप्रकाश सिसोदिया, सुशील चपलोत एवं मंजू पोखरना, रजनी सिंघवी, मंजू बापना, वंदना लोढ़ा, अंजना सिसोदिया, रश्मि लोढ़ा, आशा संचेती, सुशीला छाजेड़, उषा बाबेल, लीला कावड़िया, मीना कोठारी, स्मिता पीपाड़ा आदि कि उपस्थित मे रणजीत सिंह द्वारा लिखित धार्मिक पुस्तक ज्ञान कि ज्योति का विमोचन किया गया।
प्रवक्ता निलिष्का जैन, भीलवाड़ा