अमन जैन कोटखावदा. शाबाश इंडिया
जयपुर । आचार्य गुरुवर श्री सुनील सागर महा मुनिराज अपने संघ सहित भट्टारक जी की नसिया में चातुर्मास हेतु विराजमान है। प्रातः भगवान जिनेंद्र का जलाभिषेक एवं पंचामृत अभिषेक हुआ। शांति धारा पूज्य आर्यिका माताजी के श्री मुख से उच्चारित हुई सभी जीवो के लिए मंगल कामना की गई। पश्चात पूज्य गुरुदेव का मंगल विहार बापू नगर के लिए हुआ ।वहां से गुरुवर टोडरमल स्मारक भवन जहां समाज के समक्ष परमात्म प्रकाश जी ने स्मारक की गतिविधियों पर प्रकाश डाला ,और छोटे दादा हुकुम चन्द भारिल्ल का प्रवचन हुआ ,पूज्य गुरुदेव के मंगल वचनामृतों का समाज ने रसपान किया।,पश्चात बिहार पुनःआरंभ हुआ गुरुवर संघ सहित मालवीय नगर हरी मार्ग स्थित अप भ्रंश साहित्य अकादमी सन्मति भवन में पधारे जहां धर्म सभा हुई। मंगलाचरण सुश्री प्रीति जैन ने प्राकृत भाषा में किया। मंत्रोच्चारों के साथ अशोक पाटनी किशनगढ़ ने अपभ्रंश साहित्य अकादमी व पुस्तकालय का विधिवत शुभारंभ किया। मंच संचालन मनीष बैद ने किया दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी कार्यकारिणी के सभी पदाधिकारी गण धर्मसभा में उपस्थित रहे भगवान महावीर के चित्र के समक्ष सभी महानुभावों ने अर्घ्य अर्पण कर चित्र अनावरण करते हुए दीप प्रज्वलन कर धर्म सभा का शुभारंभ किया। उक्त जानकारी देते हुए चातुर्मास व्यवस्था समिति के प्रचार मंत्री रमेश गंगवाल ने बताया अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी कमेटी के अध्यक्ष सुधांशु कासलीवाल ने अपभ्रंश साहित्य अकादमी के गतिविधियों पर पूर्ण प्रकाश डाला, वयोवृद्ध विद्वान कमल चंद सोगानी ने सभी आमंत्रित विद्वानों का व सभी महानुभावों का अभिनंदन करते हुए कहा अपभ्रंश का संबंध हिंदी से है पंडित चैनसुख दास जी जयपुर के महान पंडित व विचारक थे जिन्होंने आमेर के शास्त्र भंडारों को उचित रूप से व्यवस्थित करने का प्रयास किया, और उसी से साहित्य क्रांति का आगाज हुआ। तथा साहित्य अकादमी की स्थापना हुई । अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी के मानद मंत्री महेंद्र पाटनी ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया कि आचार्य श्री के सानिध्य में कमेटी के सभी सदस्यों ने निर्णय लिया की एक बालिका छात्रावास का उचित स्थान देखकर शिघ्र ही निर्माण कराया जायेगा।राजस्थान सरकार के पूर्व मुख्य सचिव अशोक जैन ने अपने वक्तव्य में बताया जनवरी 2000 में ,जहां अपभ्रंश साहित्य अकादमी का सन्मति भवन बना है इस भूमि का पट्टा प्राप्त हुआ था। 2015 में भवन का शिलान्यास हुआ और निर्माण आरंभ किया गया। सन् 2020 में इस भवन का निर्माण संपन्न हुआ और इसमें अपभ्रंश साहित्य अकादमी और जैन विद्या संस्थान को स्थानांतरित कर यहां अवस्थित किया गया है।कुल 80 विद्यार्थी यहां के छात्रावास में रहकर विद्या अध्ययन करेंगे ।
गोष्ठी के कुलपति शीतल चन्द जैन ने अपने वक्तव्य में कहा मेरा सुझाव है, अपभ्रंश साहित्य अकादमी के नाम में थोड़ा परिवर्तन करके- प्राकृत अपभ्रंश साहित्य अकादमी रखने पर विचार किया जाना चाहिए ।आचार्य श्री के सानिध्य में इस अकादमी का शुभारंभ हुआ है यह निश्चित रूप से फलीभूत होगा, अंतरराष्ट्रीय जैन विद्या संगोष्ठी के मुख्य समन्वयक राजीव जैन गाजियाबाद में बताया अंतरराष्ट्रीय जैन विद्या संगोष्ठी में लगभग 150 विद्वान जयपुर पहुंचे हैं ।
पूज्य गुरुवर ने अपना मंगल उद्बोधन देते हुये कहा — आज तो महा महोत्सव का दिन है
सूर ना देखें टिप्पणो
करे तो सब कुछ हो
मन से जो ध्यावे तो
देखें महावीर जी ।
डॉक्टर राजमल कासलीवाल नेताजी सुभाष चंद्र बोस के निजी चिकित्सक रहे थे, जीवन पर्यंत उनके साथ रहे थे, सभी को संस्था का आकार नहीं संस्था के जज्बे को देखना चाहिए कि संस्था किस तरह से अपनी गतिविधिया कर रही है। कई सारे विद्वानों ने आकर इस कार्यक्रम को आज महोत्सव का रूप दिया है ,यह वह स्थान है जहां से अनेक विद्वान पढेंगे और पढ़ाएंगे धर्म देश को उज्जवल करेंगे,। जो हिंदी हम लोग बोल रहे हैं उसकी मां है अपभ्रंश और अपभ्रंश की मां प्राकृत भाषा है। प्राकृत भाषा महावीर बुद्ध की भाषा रही है अनेकों शब्द आज भी प्राकृत भाषा के हैं प्राकृत भाषा बहुत ही प्राचीन भाषा है जन-जन की भाषा है ।राजनीति पर प्रहार करते हुए पूज्य गुरुदेव ने कहा, गंदगी की सफाई भी गंदगी में उतर कर ही की जाती है ।जहां मंदिर है वहां अस्पताल भी होना चाहिए वहां पाठशाला भी होनी चाहिए धर्म और संस्कृति अक्षुण्ण रहनी चाहिए। यह छोटी सी बात कभी भी मील का पत्थर साबित होगी। सोते हुए इंसान को मुर्दा समझ लिया जाता है जागता हुआ इंसान ही कुछ कर सकता है ।