सुनिल चपलोत/चैन्नाई। सामायिक की साधना आत्मा की साधना है। गुरूवार एस.एस.जैन भवन साहूकार पेठ में महासाध्वी धर्मप्रभा ने श्रध्दालुओं को धर्म उपदेश दे हुए कहा कि सामायिक की साधना से मनुष्य मे समभाव आ सकते है । जीवन मे समभाव आ जाऐंगे तो आत्मा शुध्द और पवित्र बन जाएगी। सामायिक शुध्द भाव से होने पर ही समभाव आयेगें सामायिक एक साधना है,जीवन पद्धति है,अकुशल मन को कुशल बनाने की कला है।अवगुणों को खो दिया तो समभाव स्वयं प्रकट हो जायेगे। एकान्त रूप से शांति से अभिलाषा रहित सामायिक हमारी शुद्ध हो जाएगी हमारे बाहरी अवगुण जैसे आए है वैसे ही चले जाएंगे।आत्मा का निज गुण है समभाव वो सामायिक से ही प्राप्त किया जा सकता है । धर्म तो सिर्फ हमारी आत्मा को धोने का कार्य करता है। लेकिन मन वचन काया को साधने का साधन हमारी सामायिक है। यदि सामायिक से आत्मा में समभाव आ गये तो गृहस्थ भी साधु है मोक्ष प्राप्त कर सकता है। वो तभी संभव हो सकता है जब हमारी सामायिक शुध्द और पवित्रता के साथ हम सामायिक की साधना करेंगे तो हम आत्मा को मोक्ष दिला सकते है। साध्वी स्नेहप्रभा ने कहा कि मनुष्य सामायिक लेने के बाद सामायिक में रमण करें, सम भाव में रहें तो उसकी सामायिक श्रेष्ठ बन सकती है, औंर वो आत्मा को पवित्र बना सकता है।सामायिक मनुष्य के मानसिक आवेग-उदवेग को शान्त करने वाली वो साधना है जिसे मनुष्य करके अपने अशुभ पाप कर्मो की निर्जरा कर सकता है। निष्काम भाव से कि गई सामायिक साधना हमे सुफल देती है। एस.एस.जैन संघ साहूकार पेठ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देतें हुए बताया कि धर्मसभा में श्रीमरुधर केसरी जन्म जयंती के जीव दया के चेयरमैन महावीर चंद कटारिया,पुरूषवाक्कम से राकेश विनायका पोरूर वशुमति महिला मंडल की अध्यक्षा ममता बम्ब तमिलनाडु महिला जैन कॉन्फ्रेंस कि अध्यक्षा सरलना सिसोदिया महामंत्री मंजू कोठारी आदि सभी अतिर्थीयो का साहूकार पेठ श्रीसंघ के अध्यक्ष एम,अजितराज कोठारी,सज्जनराज सुराणा,हस्ती मल खटोड़, सुरेश डूगरवाल,बादलचन्द कोठारी, महावीर चन्द कोठारी, मोती लाल ओस्तवाल, जितेन्द्र भंडारी,शांतिलाल दरड़ा,शम्भूसिंह कावड़िया आदि पदाधिकारियों ने स्वागत किया इसदौरान बैगलोर,पुना,राजस्थान आदि क्षैत्रों के श्रध्दालूओं की धर्मसभा में उपस्थित रही।