सेवा और भक्ति मे स्वार्थ नही होगा, तभी सुफल प्राप्त होगा: साध्वी प्रितीसुधा
सुनिल चपलोत/भीलवाड़ा। सेवा वही व्यक्ति कर सकता है जिससे स्वार्थ की भावना नहीं छुपी होगी। बुधवार को अहिंसा भवन शास्त्री नगर मे साध्वी प्रितीसुधा ने सैकड़ों श्रध्दालुओं को प्रवचन में धर्मसंदेश देतें हुए कहा कि आज मनुष्य भगवान की भक्ति भी करता है तो ईश्वर से कुछ प्राप्त करने केलिए। चाहे भक्ति हो या सेवा निस्वार्थ भावों से करोगे तभी फल मिलेगा। परमात्मा के प्रति निष्काम प्रेम ही सच्ची सेवा भक्ति है। सेवा मे समर्पण नही होगा तो.वह सेवा नही कहलाती है। समर्पित भाव से की जाने वाली सेवा कभी निष्फल नहीं जाती है। सेवा सभी करो मगर आशा किसी से मत रखना क्योंकि सेवा का फल भगवान ही दे सकता है इंसान नही दे पाएगा। साध्वी संयम सुधा ने कहा कि सेवा कामयाबी का मूल मंत्र है जो मानव को सच्चा मानव बना सकती है अगर सेवा निस्वार्थ भाव से करोगे तभी जीवन मे सफलता मिलेगी। धर्म सभा मे चितौड़, पाली, जौधपुर और शहर के कही उपनगरों के श्रध्दालुओं की उपस्थिति रही। अहिंसा भवन शास्त्री नगर जैन संघ मुख्य मार्गदर्शक अशोक पोखरना एवं अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह बाबेल ने जानकारी देते हुए बताया कि श्रमण संघ के दित्तीय पटट्धर आचार्य सम्राट आनन्द ऋषि जी महाराज की एक सौं चौबीसवीं जन्म जयंती अहिंसा भवन के तत्वावधान मे साध्वी प्रितीसुधा के सानिध्य मे आयंबिल तप और गुणगान के साथ 17 अगस्त को मनाई जायेगी। आचार्य आनन्द ऋषि की जन्म जयंती कार्यक्रम मे जैन कॉन्फ्रेंस और किसी की भी संस्था कि भूमिका नही रहेगी । जन्मजयंती शहर के अलग अलग जैन स्थानकों मे उन्ही की भूमिका और तत्वावधान मे मनाई जाएगी। अहिंसा भवन मे जन्म जयंती पर आयंबिल तप करने.वाले सभी तपस्वियाओ को अंजना ओमप्रकाश सिसोदिया की ओर भोजन व्यवस्था तथा प्रभावना उमा हेमन्त आंचलिया की ओर प्रभावना दी जाएगी।