बड़ो की विफलता पर छोटों को बहुत खुशी होती है: मुनि पुगंव श्री सुधा सागर जी महाराज
श्रावक संस्कार शिविर के पुण्यार्जक बनने का सौभाग्य मोठया परिवार को मिला
नये कार्यकर्ता संभालेंगे संस्कार शिविर में व्यवस्थाएं
आगरा। बड़ो की विफलता पर छोटों को बहुत खुशी होती है ।बड़े सफलता नहीं हो रहे इस खबर को सुनकर छोटे नाच उठते हैं उन्हें अपनी सफलता की चिंता नहीं रहती छोटों की खुशी नई बात नहीं है होता है सभी बड़ों को सफल होता देखना चाहते हैं लेकिन जो नाचने की खुशी है ये किसी और बात का संकेत दे रही है छोटे अपनी सफलता के लिए प्रयास नहीं कर रहे बड़ों की विफलता में सुख डूंड रहें हैं यही गलती है इस पंचम काल में बड़ो को भी सफलता नहीं मिलेगी लेकिन ये राह ही आगे राज पथ वनने वाला है पंचम काल के गंधे होकर भी हमें कुछ समझ में आ गया बड़े बड़े महाराज की बात में समझ में नहीं आईं लेकिन शिवभूति महाराज को सुपा फटकने वाली मां जी को देखकर भेद विज्ञान हो।ये आवश्यक नहीं है कि जब कोई बड़े महाराज समझायेंगे तब समझें छोटे महाराज ने बताया और आप समझ गये उक्त आश्य के उद्गार मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज ने हरिपर्वत आगरा में विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
नये लोगों को श्रावक संस्कार शिविर में व्यवस्थाएं संभालने का मौका दे
मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि आगरा श्रावक संस्कार शिविर के पुण्यार्जक बनने का सौभाग्य मोठया परिवार को मिला आज मुनि पुंगव श्रीसुधा सागर जी महाराज ने धर्म सभा में कहा कि श्रावक संस्कार शिविर में वे कार्यकर्ता काम संभाले जिन्होंने कभी कोई समाज में काम नहीं किया जो पहली बार अपनी सेवाएं देना चाहते हैं जो वर्षों से काम में लगे हैं वे आराम करें प्रवचनों का लाभ ले और नये फेस कार्यकर्ता को सेवा करने का मौका दे चिन्ता ना करें नये लोग भी सब कुछ अच्छे से संभाल लेंगे उन्होंने कहा कि हम लोग ये सोचने लगते है कि आज तक जो नही हुआ वो अब क्या होगा, महाराज जी के प्रवचन आज तक समझ में नहीं आया तो अब क्या समझ मे आयेगा,ये भाव लगाओ आज तक नही हुआ अब होने वाला है आज तक नहीं सुधरा तो अब निश्चित ही सुधरने वाला है,जो सुधरा है वो तो सुधरा है हम कुछ जानते नहीं, बताने वाला कोई नही है फिर भी हमे भगवान में साक्षात भगवान दिखता जबकि साक्षात पाषाण है भक्त भगवान मान रहा है साक्षात् भगवान है।ये भक्ति अतिशय दिखाएगी।
नशे का त्याग करें तो जीवन बच जायेगा
उन्होंने कहा कि समय रहते संभव जाने पर जीवन बच सकता है जयपुर में चातुर्मास में प्रवचन गुटखा के त्याग पर चल रहे थे हमने कहा कि नशें का त्याग करने पर जीवन बच जायेगा एक युवा कहता है कि महाराज जी आप वोल रहें थे तो मुझ से रहा नहीं जा रहा था मैं वर्षों से गुटका खा रहा हूं मुझे आज तक कुछ नहीं हुआ और आप कह रहे हैं ऐसा होता है वैसा होता है एक बुजुर्ग आया उससे कहा कि भाई बृद्धावस्था आ गया मरने का समय निकट है कुछ नियम ले लो तो वह कहता है कि अभी तक नहीं मरा तो अब क्या मरुंगा कुछ दिन बाद हमारा विहार हो गया उसके पिता दो तीन महीने बाद आये कहते हैं कि महाराज बेटे की हालत गंभीर है कुछ करे बेटा कहा रहा था महाराज से क्षमा मांगना अब वे कुछ करें अंतिम स्टेज़ पर है तो हमने कहा कि बक्त बहुत विकट है मौत बहुत निकट है अब कुछ नहीं हो सकता जब समय था तो ध्यान नहीं दिया आज ऐसी स्थिति बन गई तो समय रहते चेत जना चाहिए उसी में सबकी भलाई है।