गुंशी, निवाई। प. पू. भारत गौरव श्रमणी गणिनी आर्यिका रत्न 105 विज्ञाश्री माताजी ससंघ श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी तह. निवाई जिला टोंक (राज.) में चातुर्मासरत है। पूज्य माताजी के सान्निध्य में प्रतिदिन यात्रीगण शांतिप्रभु के दर्शन कर अभिषेक शांतिधारा का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। आज चाकसू व निवाई समाज के सदस्यों ने गुरु माँ को आहारदान देकर लाभ प्राप्त किया। पूज्य माताजी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आत्मा कोई और नहीं अपितु अपने ज्ञान-दर्शन का नाम है और ज्ञान दर्शन कभी मरता नहीं । चेतना का नाम ज्ञान – दर्शन है। तभी तो मुर्दे को ज्ञान नहीं होता क्योंकि उसकी चेतना शक्ति निकल गई है। हम सब कहते हैं हममें ज्ञान नहीं। अगर हम में ज्ञान नहीं होता तो हम इंसान नहीं। हम अपने व्यापार में, घर – गृहस्थी के काम में, अपने स्वार्थ में तो ज्ञान लगा लेते हैं और जब धर्म की बात आती है तो अज्ञानी बन जाते हैं। वर्तमान में मानव की दृष्टि इतनी छोटी होती जा रही है कि उन्हें अपने स्वार्थ के सिवाय कुछ दिखाई नहीं देता। जहाँ उनके काम बने, नाम बड़े वहाँ पर दान देंगे, सेवा करेंगे और यदि द्वार पर कोई खाना मांगने आ जाये तब उसके भावों में परिवर्तन इतना आ जाता है कि यहाँ क्यों आ गया। सोचो ? “दया मूले धर्मों” दया ही धर्म का मूल है। इतना क्रोध उस समय, कहाँ गई आपकी दया। आप सभी आगामी 2 अगस्त को आयोजित होने वाले 51 मंडलीय शांतिनाथ विधान व भोजशाला के उद्घाटन व वृक्षारोपण के कार्यक्रम में सम्मिलित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाये।