ब्यावर। बिरद भवन में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन में महासती धैर्यप्रभा एवं महासती धृतिप्रभा (सितु) ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए बताया कि भगवान महावीर ने फरमाया हैं कि कडान कम्माण न मुक्ख अत्थि अर्थात किये हुए कर्मों का फल भोगे बिना किये हुए कर्मों से छुटकारा नही होता हैं। श्रावक श्राविकाओं को जितना सम्भव कर्म बंध से बचना चाहिए। जिस व्यक्ति के भाग्य में जितना होगा उसे उतना ही मिलेगा, इसलिए कर्म धुरी पर विश्वास रखना चाहिए। भगवान महावीर ने जो फरमाया वो सत्य है इसलिए उनके वचनों पर श्रद्धा रखते हुए पालन करों। महासती धीरप्रभा ने बताया कि दया साधना का मूल कारण हैं। महासती धार्मिक प्रभा ने बढ़े तप की राहों में हमारे कदम, मिटा कर चले दिल के सारे भ्रम गीतिका से उपस्थित धर्म सभा का मन मोह लिया। जीवदया प्रेमी सुरेश जी छल्लानी के आकस्मिक देहावसान पर धर्मसभा द्वारा नवकार मन्त्र का ध्यान के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की। आगामी 21 से 23 जुलाई तक बिरद भवन में प्रातः 9 से 10 बजे तक महासती धैर्यप्रभा जी द्वारा एक मार्मिक दृष्टांत के साथ जैन इतिहास की गौरव गाथा का वाचन किया जाएगा। जिसमें बताया जाएगा कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हमें धर्ममार्ग को नही छोड़ना चाहिए। यह गाथा सुनकर धर्मानुरागियों का आत्मबल धर्म मार्ग पर और सुदृढ़ होगा। महासती जी के दर्शनार्थ अलीगढ़ रामपुरा, डूंगला आदि जगहों से भी आगामी चातुर्मास की विनती प्रकट की गयी। चातुर्मास में कई छोटी बड़ी तपस्याएं भी अनवरत गतिमान हैं। शुक्रवार दोपहर को गांधी आराधना भवन में सामयिक पाठ से सम्बंधित प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा।