नई दिल्ली। दिल्ली के जैन श्रावकों दिखाओ की दिल्ली में जिंदा लोग रहते हैं। चल-अचल जैन तीर्थों पर हमले, पद-पंथ छोड़ो, पथ को जोड़ो, एकजुट हो, अकड़ छोड़ो, आज एक व्यक्तित्व पर नहीं, दिगंबर संत के पिच्छी-कमंडल पर आक्रमण हुआ है। नेता लोग मंच पर श्री फल चढ़ाते हैं,मान सम्मान करवा तिलक लगवाते हैं और बिना प्रवचन सुने ही सभाओं से गायब हो जाते हैं। उक्त कथन बड़े आवेश में ऋषभ विहार दिल्ली में वर्षायोग रत आचार्य श्री सुनील सागर महाराज ने व्यक्त किये। आचार्य श्री ने कहा कि दिगंबर साधुओं का 7वीं सदी से कत्लेआम हुआ था, तब सम्राटों द्वारा कुचक्र रचे जाते थे धर्मांतरण के लिये। लेकिन आज आजाद देश में दिगंबर साधु की नृशंस हत्या हो जाना, इतना बड़ा अपराध हो जाना और समाज फिर भी चुप बैठा रहे, तो हम नपुंसक ही कहे जाएंगे, दिल्ली के जैन श्रावकों को चेताते हुए कहा कि अरे ! कुछ तो ऐसा करो कि लोग कहें दिल्ली में भी जिंदा लोग रहते हैं। आज जैन समाज को खत्म करने का खेल चल रहा है, इतना बड़ा अपराध होने के बावजूद कोई भी नेता न तो ट्वीट कर घटना की भर्त्सना करता है, न ही इस पर आवाज बुलंद करता है। जैन समाज के साथ इतना कुछ हो जाता है और सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगती। आचार्य श्री ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज समाज में पंथवाद का जहर इतना फैला है कि साधु के आहार में भी दिक्कत आ जाती है। साधु नाम धारी लोग, ठेकेदार लोग, नेता लोग असुरों जैसा काम कर रहे हैं। पद-प्रतिष्ठा की चिंता है लेकिन अपनी चल-अचल तीर्थों की परवाह नहीं। अरे, कभी तो अपने समाज-साधु के पक्ष में खड़े होकर देखो। आज गहरे लोग चाहिये, जो जिनधर्म के लिये मरने के लिये तैयार हो जाएं। सख्त व चेतावनी भरे लहजे में आचार्य श्री ने स्पष्ठ कहा कि एकजुटता लाइये, नारदपना छोड़िये। श्रावकों के कारण साधुओं में जो माहौल बन रहा है, वह गलत है। आचार्य श्री सुनील सागर जी ने आज आक्रोशित रूप में, साधु समाज की संवेदना को, समाज के सामने जिस रुप में रखा। वर्तमान में शायद, किसी ने नहीं रखा। उन्होंने आचार्य काम कुमार नंदी के प्रति गहरी सवेंदना व्यक्त करते हुए कहा कि यह अति दुखद है। अति शीघ्र दोषियों को सजा मिले और सन्तो की सुरक्षा सरकारों द्वारा सुनिश्चित की जाए।
संकलन:- संजय जैन बड़जात्या कामां