जयपुर। चारों ओर पर्वतों से घिरा जयपुर ,जहां आचार्य श्री सुनील सागर गुरुदेव ससंघ का चतुर्मास भट्टारक जी की नसियां में चल रहा है। आज प्रातः पूज्य गुरुदेव के मुखारविंद से मंत्रोच्चारों का उच्चारण हुआ और भगवान जिनेंद्र देव के मस्तक पर कलश धारा संपन्न हुई ,सैकड़ों लोग जैन भवन के सभागार में उपस्थित थे ।जब गुरुदेव के श्री मुख से शांति मंत्रों का उच्चारण हुआ संपूर्ण विश्व जगत के सभी जीवों की शांति हेतु सभी श्रावको ने कामना की । उक्त जानकारी देते हुए चातुर्मास व्यवस्था समिति के प्रचार मंत्री रमेश गंगवाल ने बताया कि सन्मति सुनील सभागार में श्रीमती मन्जू जैन के मंगलाचरण और गुरुदेव के पावन सानिध्य में नांदणी महाराष्ट्र से पधारे भट्टारक स्वस्ति श्री जिनसेन महास्वामी के द्वारा चित्र अनावरण और दीप प्रज्वलन से आज की धर्म सभा का शुभारंभ हुआ । मंच संचालन श्रीमती इन्दिरा बडजात्या ने किया। चातुर्मास व्यवस्था समिति के मुख्य संयोजक रूपेंद्र छाबड़ा राजेश गंगवाल ने जानकारी प्रदान करते हुए बताया परम पूज्य आचार्य भगवन श्री सुनील सागर गुरुदेव के चरणों का प्रक्षालनआज केसर के सुगंधित जल से जैन परिवार ने किया पूज्य गुरुदेव को जिनवाणी शास्त्र भी जैन परिवार ने भेंट किया। चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष देवप्रकाश खंडाका ने बताया पूज्य गुरुदेव ने अपनी ओजस्वी व मंगलमयी वाणी से संपूर्ण समाज के कल्याण हेतु कहा, की ज्ञान कैसा होता है ज्ञान किसे कहते है ,ज्ञान वही है जो मुर्झाये जीवन में बहार लादे। गुरुदेव की वाणी मुखरित हुई उन्होंने कहा सन्त वही जो जीवन सुधार देऔर धर्म वही जो आत्मा को ध्यान दे। हमेशा मैत्री का भाव रखें अमैत्री किसी से भी ना रखें ,भक्ति में बडी शक्ति होती है । जिनमें राग द्वेष नहीं हो,जिन्होंने खुद को पहचान लिया उन्होंने वीतरागी देव के चरणों मे स्थान को पा लिया। विज्ञान ने बहुत से नेत्रों का निर्माण किया है परन्तु आत्मा को कैसे देखा जा सकता हैएसे किसी भी नेत्र का आज तक आविष्कार नहीं कर सका। मुनिराज अपने जीवन में सर्दी गर्मी शीत ऊष्ण सभी परिषहों को सहन करते है किसी भी जीव का घात न हो इसका ध्यान रखते है जिन्हें केवलज्ञान प्राप्त हो जाता है । उन्हें पहाड़ भी गतिरोध नहीं करता, और हमें तो एक पर्दा भी आडे़ आ जाये तो हम कुछ भी नहीं बता सकते कि पर्दे के आगे क्या है पर सर्वज्ञ देव तो भूत भविष्य वर्तमान सभी कुछ जान लेते है।