9 जूलाई को होगा सहस्त्रकूट विज्ञा तीर्थ पर वर्षायोग मंगल कलश स्थापना समारोह
विमल जोला/निवाई। अष्टान्हिका पर्व मे गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी के सान्निध्य में सहस्त्रकूट विज्ञा तीर्थ पर यागमण्डल विधान आयोजित किया गया जिसमें श्रद्धालुओं ने नवीन तीर्थ पर जाकर पूजा अर्चना की। जैन समाज के प्रवक्ता विमल जौंला एवं सुनील भाणजा ने बताया कि विधान से पूर्व श्रद्धालुओं ने भगवान शांतिनाथ की शांतिधारा करके अभिषेक किए। पण्डित विमल कुमार बनेठा के निर्देशन मे अष्टान्हिका पर्व के पाचंवे दिन वेदी पर विराजमान भगवान की पूजा अर्चना की गई। इस दौरान यागमण्डल विधान के तहत पांच मंगल कलश की स्थापना कर यागमण्डल का विधान का समवशरण रचाया जिसमें दीप प्रज्वलन एवं आर्यिका माताजी को श्री फल अर्ध्य चडा़ने का सोभाग्य राजेश जैन अशोक जैन विष्णु बोहरा महावीर प्रसाद छाबड़ा नरेश जैन मनोज जैन हितेश छाबड़ा मनोज पाटनी सुशील जैन त्रिलोक जैन सहित अनेक लोंगो को मिला। विधान मे 120 श्री फल अर्ध्य चडा़या गया। कार्यक्रम के अन्तर्गत पण्डित विमल कुमार बनेठा के मंत्रोच्चार द्वारा गाजेबाजे के साथ सांवलिया जी मंदिर के श्री जी को भी विधि विधान के साथ स्थापित किया। इस अवसर पर आयिका विज्ञाश्री माताजी ने सहस्त्रकूट पर धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि भक्ति ही भक्त को भगवान बना देता है। अष्टान्हिका पर्व मे की गई आराधना का अचिंत्य फल है।उन्होंने कहा कि सिद्धो की आराधना सिद्ध पद की प्राप्ति मे सहायक बनती है। उन्होंने कहा कि इस पर्व मे की गई आराधना सातिशय पुण्य का कारण है। प्रभु के दर्शन का भाव बनाने मात्र से एक हजार उपवासों का फल प्राप्त होता है। इसलिए नन्दीश्वर दीप की पूजा अर्चना कर सातिशय पुण्य करना चाहिए। जौंला ने बताया कि आर्यिका विज्ञाश्री माताजी 5 पीच्छी संध गांव गुन्सी स्थित सहस्त्रकूट विज्ञा तीर्थ पर विराजमान है जहाँ माताजी के सानिध्य में 9 जूलाई रविवार को भव्य मंगल कलश स्थापना समारोह का आयोजन किया जाएगा। जिसमें देश भर से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहेगा।