Sunday, November 24, 2024

धर्म धर्मायतनों की रक्षा के लिए हमें एक होने की आवश्यकता है : मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज

राजेश जैन दद्दू/उज्जैन। आज हमारे धर्म और धर्म के आयतनों पर जो संकट के बादल हमें दिखाई दे रहे हैं उनको दूर करने के लिए हमें पंथवाद, संतवाद को छोड़कर एक होने की आवश्यकता है क्योंकि हमारे मंदिर मस्जिद, गुरूद्वारा मात्र किसी एक धर्म के किसी एक संप्रदाय की धरोहर नहीं है, अपितु इस संप्रदाय रहित स्वतंत्र भारत के प्रत्येक मंदिर आदि संपूर्ण राष्ट्र की धरोहर है और उसकी रक्षा करना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है। हमारा देश धर्म निरपेक्ष देश है। नयापुरा का श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर पर शासन, प्रशासन की कुदृष्टि डालते हुए विकास के नाम पर जो मंदिर को तोड़ने का नोटिस भेजा है वह शासन प्रशासन का छल कपट का ही नतीजा है। शासन, प्रशासन इस बात पर अवश्य ध्यान दे कि जैन समाज एक अहिंसक समाज है और प्रशासन यदि नोटिस वापस नहीं लेता है तो ये अहिंसक समाज देश व्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होगा। आप साथ है तो हम साथ है और यदि आप साथ नहीं है तो हमारे साथ दो नहीं, दो हजार नहीं अपितु लाखों हाथ, साथ है। श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर ऋषिनगर में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री ने अपने विचार नयापुरा मंदिर बचाओ समिति के निवेदन पर व्यक्त किये। सकल जैन समाज की एक समिति का गठन नयापुरा दिगंबर जैन मंदिर बचाओ के लिए किया गया और समिति का मुनिश्री के सानिध्य में यह निर्णय हुआ कि 4 जुलाई को शांति मोर्चा के लिए मौन प्रदर्शन किया जाएगा। उक्त जानकारी नयापुरा जिनालय के देवेंद्र पाटनी ने देते हुवे बताया कि ऋषिनगर जिनालय में चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य मुनि सुप्रभ सागर जी महाराज, प्रणत सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में आज समाज जन की एक व्रहत बैठक आयोजित की गई जिसमें पूज्य गुरु भगवंत ने यह उपदेश दिया तथा शांति पूर्ण आंदोलन की रूपरेखा बनाई गई, इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाज जन उपस्थित थे।

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