आगरा व ग्वालियर के भक्तो का भाग्य खुलेगा: विजय धुर्रा
झांसी। आज इस विश्व विद्यालय में घांस जैसी वस्तु पर शोध हो रहा है उसके शोध पर हजारों वैज्ञानिक लगे हैं कौन से घांस में किस चीज की मात्र कितनी पाई जाती है हम साधु घांस की जगह आपके जीवन को कैसे उपयोगी वनाऊ इसी में लगे हैं हम शोध कर रहे हैं कि मनुष्य इस प्रकृति को क्या दे सकते हैं इस पर अनुसंधान लगा तार चल रहा है कहीं पड़ोसी तो दुःखी नहीं कही आपसे राष्ट्र तो दुःखी तो नहीं है आप राष्ट्र को क्या दे सकते हैं महावीर स्वामी का भी तो सबसे बड़ा संदेश यही था जियो और जीने दो तुम से कितने लोग अहोभाग्य मानते हैं कितनेलोग तुम से सुखी हो इस कलयुग में सबसे अधिक मनुष्य से नदियां, हवाये, परिवार पत्नी वेटा तक दुःखी है यहां तक कि तुम्हारे गुरु तक दुःखी है साधु आप से कुछ नहीं चाहता साधु तो आपके दुःख को देखकर आपकी आदतों को देख कर दुखी हो जाता है हम आपको सुखी देखना चाहते हैं मुझे तो आज चालीस पैंतालीस सालो में आज तक किसी ने दुख नहीं दिया दे भी नहीं सकता लेकिन यदि साधु उपदेश दे रहा है तो कहीं ना कहीं साधु के मन में आ रहा है कि आपके जीवन मैं सुख कैसे वनाऊ हम इतना चलकर आये है तो आराम करना चाहिए था थके हुए थे लेकिन नहीं साधु आपको देखकर आप पर करूणा करके उपदेश देने लगा।
ग्वालियर की ओर मुनि संघ ने किया मंगल विहार
मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि आज प्रातः काल की वेला में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज एवं क्षुल्लक श्री गंभीर सागर जी महाराज ससंघ का विहार तीर्थ क्षेत्र करगुआ झांसी से हो गया संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के संकेत अनुसार विहार कि दिशा ग्वालियर आगरा की ओर है देखना ये है कि अव किसके भाग्य खुलते है करगुआ तीर्थ से विहार कर संघ झांसी युनिवर्सिटी पहुचा जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप आदित्य प्रवीण जैन विश्व परिवार निलय जैन कमल जैन राजमणि जैन सहित सैंकड़ों भक्तों ने गुरुवार की अगवानी की इस दौरान मुनि ने सभी को आशीर्वाद दिया।
प्रदूषण मुक्त वनाने के लिए, जल को शुद्ध की आवश्यकता है
मुनि पुगंव ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में घांस पर शोध हो रहा है जल पर शोध हो रहा है उसे कैसे अधिक उपयोगी वनाऊ लेकिन हम नदियों को प्रदूषित कर रहे हैं प्रदूषण मुक्त करने के लिए कुछ नहीं कर रहे हवाओं पर शोध हो रहा है लेकिन हवाऐं इतनी प्रदूषित हो गई है कि सांस लेना हमलोग भी चलती फिरती युनिवर्सिटी है हम मनुष्य को कैसे अच्छा वना सकते हैं कैसे मनुष्यो के खोट निकल सकते हैं किसमें कौन सी क्षमता है जगत कल्याण के लिए मनुष्य क्या कर सकता है इसी में लगे हैं मानव और मनवता में जो अंतर आ गया है उसे दूर करना होगा दोपहर बाद मुनि संघ ने आगे की ओर विहार कर दिया।