Sunday, November 24, 2024

श्रीमद् भागवत में समाया समस्त वेद, पुराणों का सार, जो श्रवण कर ले उसके जीवन का कल्याण: श्रीजी महाराज

भगवान की सारी कथाओं का सार रामचरित मानस, इसे जलाने की बात करने वाले मूर्ख

सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। भगवान वेदव्यास ने हम सब जीवों पर कल्याण करते हुए समस्त वेदों, शास्त्रों व पुराणों का सार 7 दिन की कथा में डाल दिया जिसे श्रीमद् भागवत कथा कहते है। श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने वाले के जीवन का कल्याण होने के साथ उसकी सारी विपदाएं दूर हो जाती है। जिनका स्मरण मात्र जीव को समस्त आपदाओं से मुक्त कर देता वह भगवान की दिव्य कथाएं है। ये विचार ठाकुर श्री दूधाधारी गोपालजी महाराज का नूतन महल प्रवेश महोत्सव के तहत नूतन महल प्रवेश महोत्सव समिति के तत्वावधान में अग्रवाल उत्सव भवन में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन शुक्रवार को व्यास पीठ से श्री निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्री श्यामशरण देवाचार्यश्री ‘श्रीजी’ महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने रामचरित मानस का जिक्र करते हुए भगवान की सारी कथाओं का सार रामचरित मानस है। इसकी महिमा भी उतनी ही है जिनती समस्त शास्त्रों और पुराणों की है। रामचरित मानस को जलाने की बात करने वाले मूर्ख है। मानस तो साक्षात वेद है कोई उसे कैसे जला सकता है। कोई एक बार उसका अध्ययन कर ले तो फिर उससे विमुख नहीं हो सकता। संस्कृत में सब नहीं समझ पाए तो तुलसीदासजी ने रामचरित मानस को आमजन के लिए ओर सरल बना दिया। उन्होंने कहा कि मन में कुछ अच्छा करने का भाव आए तो इन्तजार मत करो उसे कर डालो पता नहीं फिर अवसर मिले या न मिले। हरिनाम के बिना जीव का कोई सहारा नहीं हो सकता। सच्चे मन से सात दिन भागवत कथा श्रवण आपको जन्म-जन्मान्तर से मुक्ति दिला सकता है। कथा के तहत भगवान के वराहअवतार, हिरण्याक्ष वध, श्री कपिल का अवतार, कपिल अष्टाध्यायी का उपदेश आदि प्रसंगों का वाचन किया गया। कथा के दौरान श्रीहरिशेवाधाम के महामंडलेश्वर हंसारामजी महाराज ने मंच पर पहुंच श्रीजी महाराज को माल्यापर्ण किया तो श्रीजी महाराज ने भी उनका अभिवादन किया। श्रीजी महाराज ने हंसारामजी महाराज को सनातन संस्कृति की विभूति बताते हुए कहा कि हमारी तो परम्परा ही हंस परम्परा होने से यह हमारे लिए विशेष है। उन्होंने कहा कि सत्संग में संतों का आगमन न हो ऐसा संभव ही नहीं है। तीसरे दिन श्रीजी महाराज का स्वागत करने वालों में मुख्य जजमान राजेशजी संजय बाहेती, जजमान सुरेश सारड़ा, बंशीलाल सोड़ानी, सुरेश भट्ट, दीपक भदादा, रमेश बाल्दी, अशोक अजमेरा, बद्रीनारायण लढ़ा, प्रकाश छाबड़ा, जगदीश ईनाणी, नरेश गट्टानी, सुभाष नुवाल आदि शामिल थे। कथा के अंत में व्यास पीठ की आरती करने वालों में जजमान शिवकुमार पारीक, नरेशकुमार टेलर, सुरेश गट्टानी, गोपाल दरक, प्रहलादराय डाड, प्रभात सोमानी, जगदीशचन्द्र चेचाणी, कैलाशचन्द्र कोठारी, राधेश्याम सोमानी, अशोक बाहेती, केदार गगरानी, मनीष कोगटा आदि शामिल थे। अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति द्वारा किया गया। श्रीमद् भागवत कथा का वाचन 20 जून तक प्रतिदिन शाम 4 से 7 बजे तक होगा।

भगवत प्राप्ति के लिए भजन जरूरी

श्रीजी महाराज ने भजन की महिमा बताते हुए कहा कि जब तक ऐसा नहीं करेंगे तब तक कल्याण नहीं हो सकता। भगवत प्राप्ति के लिए भजन जरूरी है। जीवन को संकटमुक्त रखने के लिए भजन के माध्यम से निरन्तर परमात्मा का स्मरण करो। हम जो हुआ उसे बदल नहीं सकते पर परमात्मा की भक्ति से आने वाले जीवन को सहज व सुगम बना सकते है। जीवन के अंतिम लक्ष्य मुक्ति को प्राप्त करने की राह भजन है। हम भजन सुनते तो है पर करते नहीं इसलिए समस्याएं आती है। कथा के दौरान जय-जय श्री राधे, श्रीमद् भागवत की जय, श्रीरामचन्द्र भगवान की जय आदि जयकारे गूंजते रहे। उन्होंने समय का पंछी उड़ता जाए क्यो प्राणी हरि नाम न गाए, श्रीकृष्ण गोविन्द मुरली मनोहर आदि भजनों के माध्यम से भक्ति रस की ऐसी धारा प्रवाहित की जिसमें डूबकर कई श्रोता झूमते रहे।

रासलीला में छाई कृष्ण जन्म की खुशियां, मनाया नंदोत्सव

ठाकुर श्री दूधाधारी गोपालजी महाराज का नूतन महल प्रवेश महोत्सव के तहत श्रीदूधाधारी गोपाल मंदिर परिसर में रासलीला महोत्सव के दूसरे दिन गुरूवार रात भी आकर्षक प्रस्तुतियों ने भक्तों का मन मोह लिया। महोत्सव में वृन्दावन के श्रीराधा सर्वेश्वर लीला संस्थान के कलाकारों द्वारा रासलीला शुरू के आधे घंटे महारास की प्रस्तुति के बाद भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ी विभिन्न लीलाओं की प्रस्तुति दी गई। गोपियों द्वारा आरती कर राधा-कृष्ण को रास करने के लिए आमंत्रित किया गया। इसके बाद बांसुरी की मधुर धुन पर रास की मनमोहक प्रस्तुति ने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया और भक्ति रस से सराबोर हो गए। रास में सूरदासजी के पद ‘हांजी रचयो रास रंग श्याम सबही सुख दीन’ पर आधारित कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी गई। रास के बाद कृष्ण लीला के तहत भगवान कृष्ण से जुड़े प्रसंगों का मंचन हुआ। इसके तहत कारागृह में भगवान कृष्ण के जन्म के बाद उनको वासुदेव द्वारा गोकुल पहुंचाना, गोकुलवासियों द्वारा नंदोत्सव मनाना, पूतना वध करना आदि प्रसंगों का सजीव मंचन किया गया। रास लीला की प्रस्तुति स्वामी शिवदयाल गिरिराज के नेतृत्व में वृन्दावन से आए 25 कलाकारों के दल द्वारा दी गई। महोत्सव के तहत प्रतिदिन रात 8 से 10 बजे तक रासलीला का आयोजन किया जा रहा है।

ठाकुर श्री दूधाधारी गोपालजी महाराज का नूतन महल प्रवेश 21 को

ठाकुर श्री दूधाधारी गोपालजी महाराज का नूतन महल प्रवेश महोत्सव का मुख्य आयोजन 21 जून को होगा। इस दिन ठाकुरश्री दूधाधारी गोपालजी महाराज नूतन महल में प्रवेश करेंगे। श्री निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्री श्यामशरण देवाचार्यश्री ‘श्रीजी’ महाराज के सानिध्य में सुबह 11.30 बजे मंदिर के शिखर पर ध्वजा एवं कलश स्थापना के साथ छप्पन भोग व फूल बंगला का आयोजन होगा। दोपहर 12.05 बजे श्री गोपाल यज्ञ पूर्णाहुति होगी। इस आयोजन को लेकर व्यापक स्तर पर तैयारियां जारी है।

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