सच्चे मन से भगवान की भक्ति करें: ब्र. जय निशांत
ललितपुर। श्री प्रागैतिहासिक तीर्थ क्षेत्र नवागढ़ जी में श्री भक्तामर जी का 24 घंटे का अखंड पाठ एवं भक्तामर विधान का आयोजन ब्रह्मचारी जय कुमार जी निशांत भैयाजी के सान्निध्य व निर्देशन में विधि- विधान के साथ भक्ति-श्रद्धा पूर्वक सम्पन्न किया गया। आयोजन के पुण्यार्जन का सौभाग्य सेठ राजकुमार जैन, सोमचंद्र जैन शास्त्री, अंजलि जैन, समर्थ कुमार जैन समस्त मैनवार परिवार को प्राप्त हुआ। प्रचारमंत्री डॉ सुनील संचय ने बताया कि मूलनायक अरनाथ भगवान की वेदी के समक्ष प्रातः बेला में भक्ति संगीत के साथ मंगलाष्टक, सकलीकरण, अभिषेक, शांतिधारा, पूजन की गई। इसके बाद भक्तामर महामण्डल विधान में 48 अर्घ्य समर्पित किए गए। जाप्य व हवन किया गया। आयोजन में आसपास की समस्त जैन समाज ने बढ़-चढ़कर के हिस्सा लिया। इस अवसर पर नवागढ़ तीर्थक्षेत्र कमेटी एवं नवागढ़ गुरुकुलम के सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने अमूल्य सहयोग प्रदान किया।
इस मौके पर वीरचन्द्र जैन नेकौरा महामंत्री, शील चन्द्र जैन, लालचन्द नैकोरा, कैलाश चंद जैन, मनोज कुमार सोजना, अशोक मैनवार, कुलदीप जैन, अमित कुमार जैन, आनंद कुमार, अंकित कुमार महरौनी, संजीव कुमार जैन, राजा भैया विनैका, टिंकू, विजय कुमार बड़ागांव, अमृत लाल अदावन, संजय कुमार रामटौरिया, विनोद कुमार, प्रमोद कुमार, दीपक कुमार तिगोडा, आनंदी लाल, हेमचंद्र लुहर्रा, सिघई तेजी राम, अशोक कुमार जैन, शील चंद, भागचंद, वीरेंद्र कुमार, चंद्रभान, सेठ मुन्ना लाल, सुरेंद्र कुमार, राहुल कुमार, पवन कुमार, प्रदीप कुमार, मोनू कुमार, खूब चंद्र समस्त जैन समाज मैनवार आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। विधान पुण्यार्जक परिवार सेठ राजकुमार जैन, मुन्ना लाल, सुरेंद्र कुमार, सोम चंद्र, रूपेश कुमार, समर्थ कुमार, निशांक, श्रीमती केसरबाई, श्रीमती अंजलि जी, श्रीमती राशि जैन, कुमारी आर्या, आराध्या का विशेष सहयोग रहा। पुण्यार्जक परिवार का क्षेत्र कमेटी की ओर से सम्मान किया गया।
निर्देशक ब्र. जय कुमार जी निशांत भैया ने कहा कि यह ऐसा चमत्कारी स्रोत है कि जिसको पढऩे से व्यक्ति के भयंकर संकट दूर हो जाते हैं। इसलिए हम सभी सच्चे मन से भगवान की भक्ति करें, भक्तामर स्रोत के माध्यम से भगवान आदिनाथ की आराधना कर अपने जीवन को सुख-शांतिमय बनावें।जैन भक्ति साहित्यों में भक्तामर स्त्रोत अपने आप में बहुत बड़ा स्थान रखता है।भक्तामर स्तोत्र का जैन धर्म में बड़ा महत्व है। सच्चे मन से की गई प्रभु की आराधना कभी व्यर्थ नहीं जाती।