Sunday, September 22, 2024

विख्यात विद्वान व लेखक डॉ. कपूर चंद्र जैन स्मृति ग्रन्थ का हुआ भव्य लोकार्पण

देशभर के शताधिक विद्वानों की उपस्थिति में हुआ भव्य आयोजन

डॉ कपूरचंद जी ने कपूर की भांति चारों ओर सुगंधि फैलाई: मुनि पुण्यसागर जी

मूर्धन्य मनीषी तथा अद्भुत प्रतिभा के धनी थे डॉ कपूरचंद जैन: गणिनी आर्यिका स्वस्ति भूषण

सोनागिर, दतिया। श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र सोनागिर जी में मूर्धन्य मनीषी श्रद्धेय डॉ. कपूरचंद जैन खतौली के स्मृति ग्रन्थ का भव्य विमोचन समारोह पूज्य मुनि श्री पुण्य सागर जी महाराज ससंघ व गणनी आर्यिका स्वस्ति भूषण माता जी के ससंघ सान्निध्य में शास्त्रि परिषद के अध्यक्ष डॉ. श्रेयांस कुमार जी जैन बड़ौत की अध्यक्षता में भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य के विशिष्ट आतिथ्य में दोपहर दो बजे से सम्पन्न हुआ।
सर्व प्रथम श्रीमती ज्योति जैन झांसी व पंडित पवन दीवान मुरैना एवं डॉ कपूर चंद्र जी खतौली के परिजनों ने मंगलाचरण किया। इसके बाद विद्वानों, अतिथियों आदि ने चित्र अनावरण व दीप प्रज्वलन किया।
इस मौके पर मुनि श्री पुण्य सागर जी महाराज ने कहा कि डॉ. कपूर चंद्र जी खतौली ने कपूर की तरह दशों दिशाएं सुगंधित की।भले ही वे हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके कार्य उन्हें सदैव जीवंत बनाए रखेंगे। वे चिंतन शील मनीषी थे। गणनी आर्यिका स्वस्ति भूषण माता जी ने कहा कि डॉ कपूर चंद्र जी जितने दिन जिए शान जिए। वे मूर्धन्य मनीषी तथा अद्भुत प्रतिभा के धनी थे। प्रारंभ में डॉ जय कुमार जैन मुज्जफरनगर ने डॉ कपूर चंद्र जी का खतौली का परिचय देते हुए उनके जीवन से जुड़े संस्मरण सुनाए।
विशिष्ट अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य झांसी ने डॉ कपूर चंद्र जी के अवदान को ऐतिहासिक बताया तथा उनकी स्मृति में बुंदेलखंड विश्विद्यालय झांसी में एक शोध पीठ स्थापना की बात कही। समारोह का संचालन पंडित विनोद जैन रजवांस व राजेन्द्र महावीर सनावद ने संयुक्त रूप से किया। आभार डॉ ज्योति जैन खतौली ने व्यक्त किया। शास्त्रि परिषद के अध्यक्ष डॉ श्रेयांस कुमार जैन बड़ौत ने कहा कि अपने को तिल तिल गलाकर साहित्य साधना करने वाले सरस्वती के वरद पुत्र डॉ कपूर चंद्र जैन के द्वारा नयी-नयी विधाओं पर कार्य किए गए। डॉ शीतल चंद्र जैन प्राचार्य जयपुर ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में जैन उनकी 700 पृष्ठों की कृति ऐतिहासिक दस्तावेज बन गयी है। इस पुस्तक को तैयार करने में उन्होंने अथक श्रम किया है।

प्राचार्य अरुण जैन सांगानेर ने कहा कि मध्यप्रदेश के दतिया मंडल के वरधुआ नामक छोटे से गांव में जन्में डॉ जैन ने शिक्षा और समाज के क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए जो सदैव स्मरणीय रहेंगे। डॉ. ब्र. राकेश भैया सागर ने विलक्षण प्रतिभा के धनी डॉ कपूर चंद्र जी ने जैन विद्या शोध संदर्भ पुस्तक तैयार कर महत्वपूर्ण कार्य किया, यह पुस्तक शोधार्थियों के लिए वरदान साबित हुई। डॉ सुनील संचय ललितपुर ने कहा कि डॉ कपूर चंद्र जी की कृतियाँ श्रम साध्य, व्यय साध्य और समय साध्य थीं। वे अजातशत्रु थे। उनकी कालजयी कृतियां ऐतिहासिक दस्तावेज हैं, जिनसे वे सदैव अमर रहेंगे।
इस अवसर पर जसवीर राणा, डॉ ज्योति जैन खतौली, डॉ चंद्र मोहन जैन, कार्तिक जैन, अनिकेत जैन, विभु जैन, वैभव जैन आदि वक्ताओं ने अपने विचार रखे। स्मृति ग्रंथ का विमोचन मंचासीन अतिथियों, विद्वानों एवं परिजनों ने किया। स्मृति ग्रंथ के प्रधान संपादक डॉ श्रेयांस कुमार जैन बड़ौत, संपादक मंडल ब्र. जय कुमार निशांत जी, पंडित विनोद कुमार जैन रजवांस, डॉ सुरेन्द्र जैन भारती, ब्र. जिनेश मलैया, प्रबंध संपादक सुमत चंद्र जैन सीए, डॉ ज्योति जैन, सह संपादक राजेन्द्र जैन महावीर, डॉ सुनील संचय, डॉ चंद्रमोहन जैन, जसवीर राणा, परामर्श मंडल के डॉ शीतल चंद्र जैन, डॉ जय कुमार जैन, प्राचार्य अरुण जैन एवं संयोजक मंडल के नीरज जैन, कार्तिक जैन, अनिकेत जैन, विभु जैन, वैभव जैन आदि को सम्मानित किया गया।
उल्लेखनीय है कि अनेक पुरस्कारों से अलंकृत डॉ कपूरचंद जी खतौली ने स्वतंत्रता संग्राम में जैन, प्राकृत एवं जैन विद्या शोध संदर्भ, संविधान विषयक जैन अवधारणाएं, धवल कीर्तिमान, जैन विरासत जैसी कालजयी कृतियों का प्रणयन कर अमूल्य योगदान दिया है। उनकी धर्मपत्नी डॉ ज्योति जैन जी भी एक विदुषी हैं। उन्होंने छाया की तरह उनके कार्यों में योगदान दिया। डॉ साब के जाने के बाद वे निरंतर सक्रिय होकर डॉ साब के पद चिन्हों पर चल रहीं हैं।
इस अवसर पर देश भर के विभिन्न अंचलों से आमंत्रित 125 विद्वानों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
समारोह में डॉ कपूरचंद जैन खतौली के जीवनवृत्त पर एलईडी के माध्यम से उनके जीवन के विविध पक्षों को दिखाया गया। इस मौके पर कमल चंद जी अहमदाबाद, नरेंद्र भंडारी, अमित भंडारी, रसम भंडारी, सुमित कुमार सीए, संजीव कुमार, अमित कुमार, आशीष कुमार, प्रमोद कुमार हैदराबाद, संजीव कुमार खंडवा, श्रीमती कल्पना, बेबी, श्रुति, अनंत, रोमी, प्रियंका, ऋषि, राखी, रेसी, दीपू, उदित, कार्तिक, अनिकेत, पंडित वीरेश कानपुर, आमोद कानपुर, प्रकाशजी झांसी, मीहिका जैन, अरहम जैन आदि परिजन प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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