जयपुर। दिगम्बर जैन महासमिति राजस्थान अंचल एवं सांगानेर संभाग के अंतर्गत श्योपुर इकाई द्वारा गीष्मकालीन धार्मिक संस्कार शिक्षण शिविर का समापन समारोह सानंद संपन्न हुआ। यह समारोह कैलाश चंद जैन मलैया की अध्यक्षता में हुआ। मंगलाचरण सुश्री मनन्या बिलाला द्वारा प्रस्तुत कर कार्यक्रम शुभारम्भ हुआ। चित्र अनावरण कर्ता रमेश सरोज काला ने किया। द्वीप प्रज्ज्वलन कर्ता प्रदीप निशा पांडया रहे। इस अवसर पर श्योपुर इकाई के अध्यक्ष राजेश कुमार पांड्या ने बताया कि इस शिविर में 105 शिविरार्थियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया और 81 ने बड़े उत्साहित होकर लिखित परीक्षा में भाग लिया। प्रवेशिका में अर्थ जैन ने प्रथम और सुविज्ञा जैन द्वितीय रही। भाग एक में दैविक ने प्रथम और स्वरा जैन द्वितीय रही। भाग द्वितीय में भवि प्रथम और आरवी पाटनी द्वितीय रही, भाग तृतीय में वत्सल पाटनी प्रथम और तोयश द्वितीय रहे, भक्तामर में श्रीमती गुंजन जैन ने प्रथम और श्रीमती इला जैन द्वितीय रही। इस प्रकार कुल पांच कक्षाओं के शिविरार्थियों ने संस्कार एवं धार्मिक ज्ञानार्जन किया। सागानेर संभाग के उपाध्यक्ष अशोक कुमार पापड़ीवाल ने बताया कि इस शिविर में बच्चों से लेकर 80 बर्ष तक के शिविरार्थियों ने भाग लिया यह बहुत ही सराहनीय कार्य हुआ है। कैलाश चंद मलैया सांगानेर संभाग के अध्यक्ष एवं शिविर संयोजक के रूप में बोलते हुए बताया कि सभी शिविरार्थियों को प्रमाण पत्र और पुरस्कार प्रदान करके पुण्यार्जकों ने ज्ञान दान करके धर्म लाभ प्राप्त किया, साथ ही अपना समाज का पैसा समाज में ही गया। दूसरे नंबर पर इस शिविर में शिक्षण कार्य करने वाली शिक्षिकाओं ने भी ज्ञान यज्ञ में दस दिवसों तक आहुति दी। तत संबंधित पुण्यार्जन किया। जिनमें क्रमशः श्रीमती ज्योति जैन (प्रवेशिका), श्रीमती सुशीला विंदायका (भाग प्रथम), श्रीमती बीना पाटनी (भाग द्वितीय), श्रीमती सुशीला जैन (भाग तृतीय), श्रीमती सुशीला पांडया (भक्तामर) ने अपनी शक्ति अनुसार शिविरार्थियों को बखूबी संस्कारित किया। इस अवसर पर मंदिर कमेटी के अध्यक्ष बाबूलाल पाटनी अपनी कार्यकारिणी सहित कार्यक्रम की शोभा बड़ा रहे थे और श्योपुर इकाई के समस्त पदाधिकारियों ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में कोई कमी नहीं छोडी। इस कार्यक्रम का सफल संचालन राकेश कुमार पाटनी ने किया। शिविर में प्रतिदिन पुण्यार्जकों द्वारा शीतल पेय एवं गिफ्ट दी गई। अंत में चेतन निमोडिया ने सभी शिविरार्थियों एवं समाज के आबाल बृद्धों और आगन्तुक महानुभावों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि ऐसे शिविर आज जैन समाज के लिए वरदान सिद्ध हो रहे। हमारी समाज को यदि धार्मिक संस्कार नहीं दिए गए तो जो परिणाम आज सामने आ रहे , इससे भी बुरा परिणाम भविष्य में होगा। अतः महासमिति वालों का और अभिभावकों का विशेष आभारी हूँ।