Monday, November 25, 2024

राष्ट्रीय नाट्य लेखन एवं निर्देशन कार्यशाला जारी: नाट्य लेखन एवं मंचन पर मंथन

उदयपुर। राष्ट्रीय नाट्य लेखन एवं निर्देशन कार्यशाला के दूसरे दिन शनिवार को कई ख्यात लेखकों एवं निर्देशकों ने नाट्य लेखन एवं मंचन से जुड़े विविध विषयों पर मंथन किया। भारतीय लोककला मण्डल निदेशक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर द्वारा कला मण्डल के साझे में आयोजित तीन दिवसीय नाट्य कार्यशाला के दूसरे दिन प्रथम सत्र में उपाध्यक्ष राजस्थान मेला प्राधिकरण, राज्य मंत्री एवं प्रसिद्ध नाट्यविद रमेश बोराना ने सत्र संचालन करते हुए नाट्य लेखन एवं मंचन के दौरान विभिन्न पहलुओं का ध्यान रखे जाने और नाटक में संगीत की उपादेयता पर अपने विचार रखे। सत्र के प्रारम्भ में राजस्थान संगीत नाटक अकादमी अध्यक्ष बिनाका जेश मालू ने सभी वक्ताओं का स्वागत किया। प्रथम सत्र में उदयपुर के जाने-माने संगीतकार डॉ. प्रेम भण्डारी ने नाटक और संगीत के अंतर संबंध विषय पर विचार व्यक्त किए। उनके बाद शहर की रचनाकार रीना मेनारिया ने कहानीकार, कथानक एवं कहानी के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। इसी सत्र की अगली कड़ी में लोककला विद् डॉ. महेन्द्र भानावत ने बाल एवं कठपुतली नाट्य लेखन विषय पर अपने विचार रखे। तत्पश्चात जबलपुर से आए युवा नाट्य लेखक आशीष पाठक ने नाट्य लेखन विचार एवं प्रक्रिया पर अपना उद्बोधन दिया।
दोपहर बाद आयोजित द्वितीय सत्र में पुरस्कृत नाटकों पर चर्चा में हितेन्द्र गोयल द्वारा लिखित नाटक ‘वेलकम स्वागत है’ के साथ इकबाल हुसैन लिखित ‘दरारें यकीन की’ नाटक की निर्देशकीय समीक्षा रमेश भाटी और विपिन पुरोहित ने की। उक्त सत्र का संचालन स्वपनिल मालु ने किया। कार्यशाला के तृतीय सत्र में अदिति जैन द्वारा लिखित नाटक ‘प्रेम शाध्वल’ एवं विजय कुमार शर्मा द्वारा लिखित नाटक ‘बंशी रैन बसेरा’ जैसे पुरस्कृत नाटकों पर चर्चा-परिचर्चा की गई। बता दें, उक्त सत्र में निर्देशकीय समीक्षा गोपाल आचार्य, अशोक जोशी ने की एवं सत्र संचालन स्वप्निल जैन ने किया। इसी तरह चौथे एवं पांचवे सत्र में क्रमशः सत्यनारायण पुरोहित द्वारा लिखित नाटक ‘छोटी बात फ़साने लंबे’ की निर्देशकीय समीक्षा डॉ. एसपी रंगा ने की। वहीं, पाँचवे सत्र में ‘नाटक किसका’ पर बीएम व्यास ने विचार रखे। आलेख चयन एवं निर्देशन की प्रक्रिया विषय पर भानु भारती एवं नन्द किशोर आचार्य ने विचार रखे। गौरतलब है कि कार्यशाला के तीसरे दिन दो सत्रों के आयोजन में पुरस्कृत नाट्य लेखकों के कार्यशाला अनुभव के अलावा पुरस्कृत नाटकों में चयनित निर्देशकों के वक्तव्य भी होंगे।

रिपोर्ट/फोटो : राकेश शर्मा ‘राजदीप’

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