Sunday, November 24, 2024

थूवोनजी अशोक नगर में चातुर्मास का निवेदन करने पहुंची कमेटी

डोंगरगढ़ में विराजमान आचार्य श्री को किए श्री फल भेंट

मोहे के साथ परमार्थ के क्षेत्र में भी विश्वास परम आवश्यक है: आचार्य श्री

अशोक नगर। विश्वास परम आवश्यक है मोह के क्षेत्र के साथ ही परमार्थ दोनों क्षेत्रों में विश्वास परम आवश्यक है आप को जिस क्षेत्र में विश्वास नहीं है तो सफलता नहीं मिलेगी किन्तु गलत दिशा में भी विश्वास है तो भी फल मिलेगा मोक्ष मार्ग के प्रति आस्था विश्वास वना रहना चाहिए अंणुवती और महावत दोनों का आत्मविश्वास वनाये रखना चाहिए मान लोविश्वास टूट गया तो वह वताओ उसके टूट ने का कारण बताओ कारण के जाने बिना आप उसकी पहचान नहीं कर सकते एक बार यदि विश्वास टूट जाता है तो फिर बनाये रखना बहुत कठिन होता है। मान लो अच्छे व्यक्ति के साथ मित्रता थी वह भी टूटने लग जाये तो वह किस पर विश्वास करेगा कोई भी व्यक्ति उसके साथ जुड़ना चाहता है तो फिर वह कैसे जुड़ेगा जोड़ने के लिए भी विश्वास की आवश्यकता होती है उक्त आश्य केउद्गार संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने डोंगरगढ़ में धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए
संयुक्त रूप से श्री फल भेंट कर किया चातुर्मास का आग्रह
मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि अशोक नगर समाज के अध्यक्ष राकेश कासंल, महामंत्री राकेश अमरोद, दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी कमेटी के अध्यक्ष अशोक जैन टींगू मिल, महामंत्री विपिन सिंघाई के नेतृत्व में अशोक नगर थूवोनजी तीर्थ पर इस वर्ष चातुर्मास का निवेदन लेकर अशोक नगर पंचायत कमेटी व दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी कमेटी ने संयुक्त रूप से श्री फल भेंट कर थूवोनजी में चातुर्मास का निवेदन आचार्य श्री से करते हुए कहा कि वर्षो से हम लोग आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। रहली पटना गंज से शिरपुर महाराष्ट्र में सात सौ किलोमीटर विहार कर गुरुदेव चातुर्मास कर सकते हैं तो थूवोनजी असम्भव नहीं है। आपकी दृष्टि एक बार दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी की ओर हो जाये तो चातुर्मास तो सहजता से ही मिल जायेगा इस दौरान थूवोनजी के संरक्षण अरविंद जैन मक्कु मुंगावली, राकेश लालाजी पंचायत के कमेटी कोषाध्यक्ष सुनील अखाई तीर्थ थूवोनजी कमेटी के कोषाध्यक्ष सौरव वाझल मंत्री विनोद मोदी आडिटर राजीवचन्देरी गंज मन्दिर संयोजक उमेश सिघई, सुनील घैलू सहित सभी सदस्यों ने आचार्य श्री को श्री फल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
संगीत की तरह मोक्ष मार्ग में भी तालमेल ज़रूरी है
इसके पहले धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि जिसको आप लोग तबला कहते है वह कोई व्यक्ति बजा रहा है किसी को गीत गाने की रुचि हुई तो वह तबला के कारण। भक्ति करने के लिए संगीत की आवश्यकता होती हैं भक्ति अकेले भी की जा सकती हैं तबला आदि से भी कर सकते हैं इनके साथ जुड़ कर आनंद और बढ़ सकते हैं नृत्य कर सकते हैं आपको उससे और आनंद आयेगा किन्तु उस नाचने वाले व्यक्ति के साथ एक प्रकार से जुड़ाव नहीं हुआ तो कहगे अरे भाई तुमने तो हमारे संगीत को ही विगाड़ दिया इसमें कमी आपकी है इसमें नृत्य कार पर आरोप नहीं आ सकता नृत्य कर के लिए सही गीत मिल जाए तो वह नृत्य करते हुए उसमें डूब जाता है
तांडव नृत्य करते हुए सौधर्म इन्द्र भक्ति में डूब जाता है
जब सौधर्म इन्द्र ताडव नृत्य करता है तो तबला बजाने और ना ही संगीत बजाने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती नृत्य कार तो नृत्य कर रहा है उसे भी संगीत के साथ संभल ना पड़ता है इसलिए लोग कहते हैं आप तीनों ठीक हो लेकिन आपका तालमेल ठीक नहीं है इसी प्रकार मोक्ष मार्ग में सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान सम्यक चारित्र तीनों का तालमेल ठीक होना चाहिए उनकी आपस में लय ठीक होना चाहिए ये ही सारे के सारे वातावरण को ठीक कर देता है आप इसमें लीन हो गए तो मोक्ष मार्ग बन जाओगे।

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