गणिनी आर्यिका भरतेश्वर मति माताजी ससंघ का 2023 का चातुर्मास बगरु में होगा
अतिशय क्षेत्र नेवटा का वार्षिक उत्सव सम्पन्न, पदमप्रभू पूजा विधान में गूंजे जयकारे
जयपुर। श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र नेवटा के वार्षिक उत्सव एवं चातुर्मास 2023 उदघोषणा महोत्सव के मौके पर भरतेश्वर मति माताजी ने प्रवचन देते हुए बताया कि जैन आचार्यों ने कहा है कि दान पूजा करने वाले की दुर्गति नहीं होती। शील, व्रत करने वालो की सुगति होती है। तप करने वाले अमर हो जाते हैं।अच्छी भावना भाने वालों के अशुभ कर्म का नाश हो जाता है। जिस तरह से बीज के बिना वृक्ष की तथा वृक्ष के बिना फल की प्राप्ति नहीं होती है। उसी अनुरूप शुभ भाव के बिना जीवन अधूरा है। महान नहीं तो नेक इंसान अवश्य बने और नेक इंसान बनने के लिए पवित्र भावना जरुरी है। ये उदगार गणिनी आर्यिका भरतेश्वर मति माताजी ने प्रवचन देते हुए व्यक्त किए। इस मौके पर विभिन्न नगरों, कस्बों एवं जयपुर स्थित कालोनियों के दिगम्बर जैन समाजों ने माताजी को 2023 के चातुर्मास हेतु श्रीफल भेट किए। राजस्थान जैन युवा महासभा जयपुर के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि समारोह के शुभारंभ पर प्रतापनगर निवासी जिनेन्द्र जैन ‘जीतू’ ने “मधुबन में हो चौमासा…..” तथा ब्रह.संचिता दीदी ने “गुरु मां ने तेरे भक्तों ने पुकारा है…..” गायन प्रस्तुति देकर मंगलाचरण किया। तत्पश्चात समिति द्वारा राजस्थान जैन युवा महासभा के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा, मुनिभक्त नेमी चन्द बाकलीवाल, राजीव जैन लाखना, निर्मल जैन, चेतन जैन निमोडिया, ओम प्रकाश कटारिया, पं. निर्मल बोहरा, सत्य नारायण पारीक, मन्ना लाल, नरेन्द्र कुमार बैनाडा खटवाडा वाले आदि का स्वागत व सम्मान किया गया। तत्पश्चात मधुबन टोंक फाटक, बगरु, चित्रकूट कालोनी सांगानेर, श्याम नगर, कलवाड़, जोबनेर, छोटा गिरनार बापूगांव, सूर्य नगर तारों की कूंट आदि के दिगम्बर जैन समाज बन्धुओं ने माताजी ससंघ को चातुर्मास हेतु नाचते गाते भक्ति भाव से श्रीफल भेंट कर चातुर्मास हेतु निवेदन किया। अन्त में माताजी ने सभी की भावना को ध्यान में रखते हुए अजमेर रोड पर श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर बगरु में वर्ष 2023 के चातुर्मास की घोषणा की। पूरा सभागार जयकारों से गुंजायमान हो उठा। मंच संचालन चेतन जैन निमोडिया ने किया। इससे पूर्व भगवान पद्म प्रभू के अभिषेक एवं मंत्रोच्चार से शांतिधारा की गई। संगीतमय पद्म प्रभू पूजा विधान में इन्द्र-इन्द्राणियों ने भक्ति नृत्य किए। समुच्चय महाअर्घ के बाद समापन हुआ।