निष्पक्ष पत्रकारिता के साथ 11वें साल में प्रवेश
राकेश जैन गोदिका
प्रजातन्त्र में मीड़िया को चौथा स्तम्भ माना जाता है। समाचार पत्र की निष्पक्षता, बेबाकी और निडरता ही पाठकों में अपनी विश्वसनीयता की अमिट छाप छोड़ पाती है, इस पैमाने पर विकट परिस्थितियों के बावजूद ‘शाबाश इंडिया’ अपने लक्ष्य से विमुख नहीं हुआ। प्रतिस्पर्धा की दौड़ व सोशल मीड़िया के इस दौर में किसी भी समाचार पत्र को अपना अस्तिव बचाये रखना किसी चुनौती से कम नहीं है, लेकिन पाठकों के लगातार मिलते प्यार से शाबाश इंडिया ने इन दस वर्षों में नित नयीं उचाईयों को छुआ है और हमारा मनोबल देशभर के पाठकों ने कम नहीं होने दिया। यही कारण है कि पत्रकारिता के सिद्धान्तों पर चलते हुए इस समाचार पत्र ने कभी नीली पीली पत्रकारिता नहीं की। हमने उगते हुए सूरज को नमन कर ईश्वर से यही प्रार्थना भी की कि मुश्किल वक़्त में हमें कमजोर न पड़ने दें। इस समाचर पत्र के विशेष कलेवर, सटीक राजनितिक लेखों, राष्ट्रीय, प्रादेशिक, व्यसायिक, खेल आदि समाचारों, साहित्यिक लेखों, सामाजिक सरोकरों से जुड़े समाचारों को आमजन तक पहुंचाने व सही मायने में यह समाचार पत्र आम आदमी की आवाज बना है। हमारा यह विश्वास है एवं ईश्वर से प्रार्थना है कि हम आगे भी पाठकों के मापदंडों पर खरे उतरें। 11वें वर्ष में प्रवेश करने पर इस परिवार की ओर से सुधिपाठकों, विज्ञापनदातों, बुद्धिजीवियों, अधिकारियों, कर्मचारियों, जनप्रतिनिधियों, नेताओं का हृदय से आभारी हूँ जिन्होंने इस लम्बे सफर में हमारा साथ दिया। उम्मीद है भविष्य में भी यह विश्वास अनवृत जारी रखेगा। पत्रकारिता के सिद्धान्तों पर चलने के लिए हम दृढ़ सकल्पित हैं। -धन्यवाद