चारभुजानाथ मंदिर प्रांगण में दो दिवसीय प्रवचनमाला का पहला दिन
कोटड़ी पहुंचने पर समकितमुनिजी का वंदन-अभिनंदन
भीलवाड़ा/कोटड़ी। जीवन में पैसे की तरह रिश्तों की भी सारसंभाल करना सीख लो। दोनों को कमाना बहुत कठिन है लेकिन गंवाना बहुत आसान है। एक चुभते शब्द से बरसों का प्रेम नफरत में बदल जाता है। जो रिश्तों को संभालना सीख गया वह नाथ बनने के मार्ग पर आगे बढ़ गया। जो इस मार्ग पर आगे बढ़ेगा वह कभी न कभी नाथ बनेगा ही। बुढ़ापे में पुत्र की, गरीबी में पत्नी की ओर मुसीबत में दोस्त की पहचान होती है। ये विचार आगम मर्मज्ञ, प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने गुरूवार को यहां चारभुजानाथ मंदिर प्रांगण में आयोजित दो दिवसीय विशेष प्रवचनमाला ‘दोस्ती की अमरकथा कृष्ण-सुदामा चरित्र’ के पहले दिन व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि नाथ के प्रांगण से नाथ बनने की यात्रा शुरू करनी है। भगवान कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की मिसाल आज भी दी जाती है। छल-कपट कर कभी रिश्ते आगे नहीं बढ़ सकते है। छल-कपट कर सिर्फ महाभारत लिखी जा सकती प्रेम की पटकथा नहीं लिख सकते। मुनिश्री ने कहा कि नफरत देकर जीवन में कभी प्रेम नहीं मिल सकता है। दूसरों का अनादर करने पर कभी आदर नहीं मिलेगा। इस भूलावे में कभी मत रहना कि हमारे देने से दूसरों को कुछ मिल रहा है हकीकत में तो दूसरों को देने से हम कुछ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण महाराज के अद्भुत जीवन का एक पहलू सुदामा से दोस्ती है। जीवन का मजा तभी है जब वक्त बदल जाए पर यार न बदले। ऐसी यारी जिंदगी में होने पर हजारों वर्ष बाद भी दुनिया याद करती है। कृष्ण-सुदामा की दोस्ती जैसे कुछ कथानक ऐसे होते है जितनी बार सुनों आनंद आता है। समकितमुनिजी ने कहा कि हमेशा पुण्यकर्म करते रहो मेहनत सफल होती रहेगी। पुण्य के अभाव में 90 प्रतिशत मेहनत भी सफल हो जाती है। मेहनत का मनमाफिक परिणाम नहीं मिले तो समझना पुण्य की टंकी खाली है। मुनिश्री ने सुदामा के चरित्र की चर्चा करते हुए कहा कि वह ऐसा व्यक्ति था जिसे भूखे रहना मंजूर था लेकिन कृष्ण जैसे मित्र को बोलना मंजूर नहीं था। बार-बार पत्नी के जोर देने पर सुदामा अपने मित्र कृष्ण से मिलने जाने के लिए तैयार हुआ। भेंट देने के लिए कुछ नहीं होने पर उनकी पत्नी ने चावल ही दे दिए। उन्होंने सुदामा की दरिद्रता देखकर कृष्णनगरी में लोगों द्वारा उनकी हंसी उड़ाने के प्रसंग का चित्रण करते हुए कहा कि जिंदगी में किसी परेशान को कभी परेशान मत करों। परेशान नहीं करने पर जिंदगी की गाड़ी शान से आगे लेकर जा सकते है। अमीर वह नहीं है जिसने धन कमाया बल्कि अमीर वह है जो किसी का सहारा बने, किसी के काम आए।धर्मसभा में प्रखर वक्ता रविन्द्रमुनि नीरज ने कहा कि समकितमुनिजी जिनशासन की प्रभावना में चार चांद लगाते हुए अपनी अमिट छाप छोड़ रहे है। उन्होंने जीवन को चार दिन की चांदनी समान बताते हुए कहा कि ऐसा कोई कभी नहीं करे जिसके लिए अंत समय में पछताना पड़े। चारभुजानाथ भी भगवान कृष्ण का ही स्वरूप है जो हमारी चौबीसी में तीर्थंकर बनने वाले है। धर्मसभा में साध्वी एश्वर्याप्रभा म.सा. ने गुरूणी मैया यशकंवर की स्तुति में गीत प्रस्तुत किया। गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा.ने भी प्रेरक गीत हर पल में हो प्रभु सुमिरन तेरा की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में महासाध्वी मनोहरकंवर आदि ठाणा का भी सानिध्य रहा। धर्मसभा में शांतिभवन श्रीसंघ के मंत्री राजेन्द्र सुराना व भीलवाड़ा चातुर्मास संयोजक नवरतनमल बंब ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन शांतिलाल पोखरना ने किया। दो दिवसीय प्रवास के तहत पूज्य समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा के प्रवचन शुक्रवार सुबह 9 बजे से चारभुजानाथ मंदिर प्रांगण में ही होंगे।
महासाध्वी मनोहरकंवर को समर्पित की आदर की चादर
धर्मसभा में पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि कोटड़ी में विराजित महासाध्वी मनोहरकंवरजी म.सा. की संयम साधना के 63 वर्ष पूर्ण होने पर श्रमण संघीय सलाहकार सुमतिप्रकाशजी म.सा., उपाध्याय प्रवर वाचनाचार्य विशालमुनिजी म.सा., उत्तर भारतीय प्रवर्तक आशीषमुनिजी म.सा. सहित सम्पूर्ण निहाल परिवार के संत-साध्वियों की ओर से उनको आदर की चादर समर्पित की जा रही है। ये आदर की चादर महासाध्वी मनोहरकंवर को समर्पित करने से पूर्व उस पर भीलवाड़ा शांतिभवन श्रीसंघ के अध्यक्ष राजेन्द्र चीपड़, मंत्री राजेन्द्र सुराना, चातुर्मास संयोजक नवरतनमल बंब, कोटड़ी श्रीसंघ के अध्यक्ष नवरतनमल पोखरना, मंत्री वीरेन्द्र लोढ़ा, प्रवक्ता शांतिलाल (बबलू) पोखरना, संरक्षक भंवर लाल पोखरना, भगवती लाल पोखरना आदि ने हाथ लगाया। शांतिभवन महिला मंडल अध्यक्ष स्नेहलता चौधरी, जैन दिवाकर महिला परिषद चित्तौड़गढ़ की अध्यक्ष अंगुरबाला भड़कत्या, कोटड़ी महिला मंडल की अध्यक्ष अरूणा तरावत, मंत्री निशा डांगी आदि ने अन्य साध्वियों के साथ मिलकर ये आदर की चादर महासाध्वी मनोहरकंवर को ओढ़ाई। आदर की चादर समर्पित करने पर श्रावक-श्राविकाओं ने हर्ष-हर्ष, जय-जय का उद्घोष कर खुशी जताई।
कोटड़ीवासियों ने की समकितमुनिजी की अगवानी
कोदूकोटा के पास स्थित लोढ़ा फार्महाउस से गुरूवार सुबह मंगलविहार कर भगवान चारभुजानाथ की नगरी कोटड़ी पहुंचने पर कस्बे के श्रावक-श्राविकाओं सहित सभी धर्म-समाज के लोगों ने पूज्य समकितमुनिजी, रविन्द्रमुनिजी आदि ठाणा का वंदन-अभिनंदन किया। मुनिवृन्दों की अगवानी के लिए कोटड़ी में प्रवास कर रहे साध्वीवृन्द भी पहुंचे। मंदिर प्रांगण में आयोजित धर्मसभा में पहुंचने से पूर्व समकितमुनिजी म.सा. ने भगवान चारभुजानाथ के भी दर्शन किए। प्रवचनमाला के दौरान 2 दिवसीय कार्यक्रम में आतिथ्य सत्कार पोखरना परिवार की ओर से किया गया।