जयपुर। भट्टरकजी की नसिया में विराजे आचार्य गुरुवर श्री सुनील सागर महा मुनिराज के सानिध्य मे भगवान जिनेंद्र का जलाभिषेक एवं पंचामृत अभिषेक के पश्चात् सभी ने पूजा कर अर्घ्य अर्पण किया। पश्चात गुरुदेव के श्री मुख से शान्ति मंत्रों का उच्चारण द्वारा सभी जीवो के लिए शान्ति हेतु मंगल कामना की गई। सन्मति सुनील सभागार मे आए मणीन्द्र जैन एवं महामहिम राज्यपाल महोदय, वेद प्रकाश वैदिक ,शैलेश तिवारी, फिरोज अहमद बख्त ने आचार्य भगवंत को अर्घ्य अर्पण करते हुए चित्र अनावरण और दीप प्रज्जवलन कर धर्म सभा का शुभारंभ किया। उक्त जानकारी देते हुए चातुर्मास व्यवस्था समिति के प्रचार मंत्री रमेश गंगवाल ने बताया , मंगलाचरण श्रीमति मणिन्द्र जैन ने किया व मंच संचालन चातुर्मास व्यवस्था समिति के महा मन्त्री ओमप्रकाश काला ने बताया राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भट्टारकजी की नसिया पधार कर, पूज्य आचार्य भगवंत की पावन निश्रा में भगवान महावीर के 2550 वे निर्वाण उत्सव के क्रम में अहिंसा रथ का लोकार्पण पूरे देश के लिए किया। चातुर्मास व्यवस्था समिति के मुख्य संयोजक रूपेंद्र छाबड़ा व राजेश गंगवाल ने बताया अहिंसा सम्मेलन में धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य शैलेश तिवारी ने शंखनाद करते हुए कहा सनातन धर्म शांति का धर्म है इसमें विशेष महावीर स्वामी का जैन धर्म है ।बौद्ध धर्म ,जैन धर्म, हिंदू धर्म यह तीनों आपस में अभिन्न भाई हैं और सनातन के अभिन्न अंग हैं। और एक ही नदी की तीन धाराएं हैं। फिरोज बख्त अहमद ने कहा जैसे हमारे रोजे माने जाते हैं वैसे ही आप के दस रोजे होते हैं।
कोई मुश्किल नहीं है हिंदू या मुसलमान जैन या बुद्ध होना, हां बड़ी बात है इस जहां में इंसान होना। वेद प्रकाश वैदिक ने कहा मेरे कई रिश्तेदार जैन हैं मैं उनसे यही कहता हूं कि तुमने पूर्व जन्म में ऐसे पुण्य कार्य किए होंगे जिससे तुमने जैन कुल को प्राप्त किया है। श्री लोकेश मुनि जी ने कहा मेरी जन्मभूमि राजस्थान रही है महामहिम महोदय को बधाई देते हुए कहा आपकी प्रतिज्ञा स्मरण संकल्प कराने की बात से यह असर होगा कि जब कोई श्वेतांबर साधु तेरापंथी स्थानकवासी संत दिगंबर आचार्य के समक्ष आएगा तो दिगंबर समाज मेउनका पूर्ण सम्मान करेंगे। और कोई दिगंबर संत तेरापंथी स्थानकवासी आदि के पास जाएंगे तो सभी लोग उनका पूरा सम्मान करेंगे। जीवन जीने की कला तो हर धर्म सिखाता है पर मृत्यु की कला केवल जैन धर्म में सिखाई जाती है । मैं आचार्य श्री से निवेदन करता हूं सिडनी के अंदर अहिंसा शांति केंद्र का निर्माण हो रहा है बहुत सारे कार्य होने बाकी हैं मैं आपसे आग्रह करता हूं अब दिल्ली पधारें और एक चातुर्मास वंहा करें।
आचार्य भगवंत उपदिष्ट हुए—- वर्तमान को वर्धमान की आवश्यकता है, रविंद्र जैन ने अपने भजनों से धर्म की प्रभावना की है।
अस्त्र से ना शस्त्र से खुशहाल होगा यह चमन ,
थाम लो दामन अहिंसा का अगर चाहो अमन ।
अमन चाहते हो तो अहिंसा का दामन थाम ना होगा ।महावीर स्वामी ने कहा हम सभी पांच इंद्रियों वाले हैं हमारी आंख कान नाक सब कुछ है हम सबसे पहले इंसान बने ,बाद में हर तरह तरह के धर्म को जाने। मुनि कच्चे पानी पर पांव भी नहीं रखते हैं ,दिगंबर साधु घास पर भी पांव नहीं रखते हैं ।वह भी जीव हैं ,कीड़े मकोड़े ना मर जाएं ,लाइट का प्रयोग भी नहीं करते हैं महावीर स्वामी का जीवन अनुपम था हमारा सौभाग्य है हम उनकी तरह का जीवन जीने की चेष्टा कर रहे हैं महावीर स्वामी के विचार सब जगह पहुंचे और हम किसी का मन नहीं दुखाना चाहेंगे ।हम सिर्फ इतना चाहेंगे कि सबके हृदय में अमन शांति और सदाचार की प्रभावना हो। मानवता के नाम पर स्त्रियों को गर्भपात की अनुमति प्रदान करना बहुत बड़ा कलंक है भारत देश के नाम पर स्त्रियों को तो अधिकार दिया पर गर्भ में पलने वाले बच्चे को भूल गए उसका अधिकार कहां चला गया ।हमारा देश राम और सीता का देश है वनवास में 14 वर्ष तक रहकर ब्रह्मचर्य का जिन्होंने पालन किया यह बहुत बड़ा आदर्श है महावीर स्वामी ने राजपुत्र होकर भी सत्ता को स्वीकार नहीं किया ।तप के रास्ते पर चल पड़े इस मुद्रा में बरसों रहे और केवल ज्ञान पाया तथा सिद्धत्व को प्राप्त किया। महामहिम महोदय ने कहा आचार्य श्री ने जिन शब्दों का प्रयोग किया वे शब्द हमारे लिए मंत्रों के रूप में कार्य करेंगे ।मुझे आज महावीर निर्वाण उत्सव पर यहां आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है भगवान महावीर के संदेश से पूरे विश्व में अमन और शांति कायम हो सकती है।