शाबाश इंडिया। अमन जैन कोटखावदा
जयपुर ।आचार्य गुरुवर सुनील सागर महा मुनिराज अपने संघ सहित चातुर्मास हेतु विराजमान है। प्रातः भगवान जिनेंद्र का जलाभिषेक एवं पंचामृत अभिषेक हुआ पश्चात गुरुदेव के श्री मुख से शान्ति मंत्रों का उच्चारण हुआ, सभी जीवो के लिए शान्ति हेतु मंगल कामना की गई। चातुर्मास व्यवस्था समिति के प्रचार मंत्री रमेश गंगवाल ने बताया , मंगलाचरण तथा मंच संचालन इन्दिरा बडजात्या जयपुर ने किया । चातुर्मास व्यवस्था समिति के महा मन्त्री ओम प्रकाश काला ने बताया कि दिल्ली से पधारे समाज बन्धुओं ने आचार्य श्री के समक्ष श्रीफल अर्पण कर भक्ति भाव से गुरुवर की पूजा की और आगामी चातुर्मास हेतु निवेदन किया । चातुर्मास व्यवस्था समिति के मुख्य संयोजक रूपेंद्र छाबड़ा ने बताया धर्म सभा मे जनकपुरी दिगंबर जैन समाज ने गुरुदेव के समक्ष प्रभु वर्धमान स्वामी के निर्वाणोत्सव पर पूज्य गुरुवर व संघ का सानिध्य प्राप्त करने हेतु निवेदन किया । आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन राकेश जैन, अंकुर, अंकित भारतस्थली कनॉट प्लेस नई दिल्ली परिवार ने किया।
पूज्य गुरु देव को जिनवाणी शास्त्र भेंट किया पूज्य आचार्य भगवंत ने अपने मंगल उद्बोधन में श्रावकों को उपदेश देते हुए कहा जिनवाणी का हमें एक पन्ना नहीं, प्रवचन सार नियम सार जैसे ग्रंथ मिले हैं। यह हमारा सौभाग्य है। दुनिया आज चकाचौंध के पीछे भाग रही है, चाहे मंत्री हो या प्रधानमंत्री हो बस संगठन को निभाने की शक्ति होनी चाहिए। मुनि जन कभी ध्यान में हो और आशीर्वाद नहीं दे पाए तो यह मत सोचना, आशीर्वाद क्यों नहीं मिला बस सोच लेना ध्यान में बैठे हैं तो ध्यान करने दो ,यह सोच लेना ऐसे दिगंबर मुद्रा के दर्शन हो गए वीतरागी प्रतिबिंब के दर्शन हो गए । कभी भी अकारण ही किसी भी दोष को, दूसरे का कभी मत मानो क्योंकि विकार स्वयं में होता है हम जैसे विचार करेंगे वैसी ही परिणति होगी। कुल्हाड़ी पैर पर गिर जाए तो गलती किसकी ? वह तो स्वयं की ही है अग्नि को पीटा नहीं जा सकता है परंतु लोहे की संगति, की तो अग्नि को भी मार पड़ती है। दीपक की लौ के स्वभाव से समझ लो लो ने तेल को अपने जैसा बना लिया। सिद्ध सदैव स्वभाव में रहते हैं हम मनुष्य किसी ने किसी विकल्प में हैं ।स्वतंत्रता का आनंद अलग होता है । गठबंधन की सरकार को हमेशा खटका बना रहता है वैसे ही आत्मा और शरीर का गठबंधन है जहां हमेशा खटका बना रहता है। आकुलता मिटाने से आकुलता मिटेगी।