Saturday, September 21, 2024

श्रीराधा सरल बिहारी मंदिर में श्रीमद भागवत कथा का पांचवां दिन

व्यक्ति को महान बनाती है परमात्मा का भावना: मृदुल कृष्ण
जयपुर।
टोंक रोड, बीलवा, मानपुर नांगल्या स्थित श्री राधा सरल बिहारी मंदिर में चल रहे श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ पांचवें दिन बुधवार को भागवत कथा में परम श्रद्धेय आचार्य गोस्वामी श्री मृदुल कृष्ण जी महाराज जी ने कहा कि जहां स्वार्थ समाप्त होता है मानवता वहीं से प्रारम्भ होती है। मानव योनि में जन्म लेने मात्र से जीव को मानवता प्राप्त नहीं होती। यदि मनुष्य योनि में जन्म लेने के बाद भी उसमें स्वार्थ की भावना भरी हुई है, तो वह मानव होते हुए भी राक्षसी वृत्ति की पायदान पर खड़ा रहता है। यदि व्यक्ति स्वार्थ की भावना को त्याग कर हमेशा परमार्थ भाव से जीवन यापन करे तो निश्चित रूप से वह एक अच्छा इन्सान है, यानी सुदृढ मानवता की श्रेणी में खड़ा होकर पर सेवा कार्यरत है। क्योंकि परमार्थ की भावना ही व्यक्ति को महान बनाती है।
महाराज श्री ने परमात्मा श्री कृष्ण की लीलाओं में पूतना चरित्र पर व्याख्यान देते हुए परम श्रद्धेय आचार्य गोस्वामी श्री मृदुल कृष्ण जी महाराज ने कहा कि कंस स्वयं को सब कुछ समझ लिया। हमसे बड़ा कोई न हो। जो हमसे बड़ा बनना चाहे या हमारा विरोधी हो उसको मार दिया जाए। ऐसा निश्चय कर ब्रज क्षेत्र में जितने बालक पैदा हुए हो उनको मार डालो, और इसके लिये पूतना राक्षसी को भेजा तो प्रभु श्री बालकृष्ण भगवान ने पूतना को मोक्ष प्रदान किया ही इधर कंस प्रतापी राजा उग्रसेन का पुत्र होते भी स्वार्थ लोलुपता अधिकाधिक होने के कारण राक्षसो की श्रेणी में आ गया और भगवान श्री कृष्ण ने उसका संहार किया। माखन चोरी लीला प्रसंग पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए आचार्य श्री ने कहा कि दूध,दही, माखन को खा-खाकर कंस के अनुचर बलवान होकर अधर्म को बढावा दे रहे थे, इसलिए प्रभु ने दूध, दही, माखन को मथुरा कंस के अनुचरों के पास जाने से रोका और छोटे-छोटे ग्वाल-बालों को खिलाया जिससे वे ग्वाल-बाल बलवान बनें और अधर्मी कंस के अनुचरों को परास्त कर सकें। भगवान श्री कृष्ण ग्वाल-बालो से इतना प्रेम करते थे कि उनके साथ बैठकर भोजन करते-करते उनका जूठन तक मांग लेते थे।
आचार्य श्री ने कहा कि हम जीवन में वस्तुओं से प्रेम करते है और मनुष्यों का उपयोग करते है। ठीक तो यह है कि हम वस्तुओं का उपयोग करें और मनुष्यों से प्रेम करें। इसलिऐ हमेशा से प्रेम की भाषा बोलिए जिसे बहरे भी सुन सकते हैं और गूंगे भी समझ सकते है। प्रभु की माखन चोरी लीला हमें यही शिक्षा प्रदान करती है। महोत्सव के तहत आज विशेष श्री गिरिराज पूजन(छप्पन भोग महोत्सव) विशेष धूमधाम से मनाया गया। आयोजक सरला गुप्ता,रजनीश गुप्ता व दीपिका गुप्ता ने बताया कि महोत्सव के तहत गुरुवार को श्री महारास लीला,गोपी गीत व द्वारिका लीला की कथा सुनाएंगे। उन्होंने महोत्सव के अंतिम दिन 15 को श्रीनवयोगेश्वर संवाद, द्वादश स्कंध के बाद कथा की पूर्णाहुति होगी। 15 दिसम्बर तक कथा रोजाना दोपहर 2 बजे से साम 6 बजे तक होगी।

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