विजय गर्ग
सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार मलोट पंजाब
हर पल कुछ बुरा हो जाने का भय और असुरक्षा के अहसास ने मानव स्वभाव के खराब पक्षों को प्रमुखता से उजागर करने का काम किया है। इनसान स्वभाव से इतना अनूठा है कि शर्म, ग्लानि, भय, तनाव और डर जैसे भाव अपने आप ही महसूस कर लेता है। प्रत्येक युग में ईश्वर की खोज और मोक्ष का मार्ग बेहद साधारण सिद्धांत पर काम करता है कि खुश कैसे रहा जाए? मेरे विचार से इस मूल प्रश्न को सुलझाने के लिए हमें अपने कष्टों की जड़ तक जाना पड़ेगा। उत्तर हमारे भीतर ही कहीं छिपा हुआ है। मौजूदा समय में अमेरिकी जीवन शैली के नियम खुशी हासिल करने का मार्ग धन, दौलत व सुख सुविधाओं से जोड़कर बताते हैं। वहीं कुछ लोग सही जीवनसाथी, सिर पर अपनी छत और सुरक्षित नौकरी होने को खुशियां पाने का जरिया समझते हैं।
हालांकि, जीवन हमेशा से कठिन रहा है, पर महामारी के बाद की चुनौतियों व आर्थिक मंदी ने परेशानियां और बढ़ा दी हैं। तलाक की बढ़ती घटनाएं, आतंकवाद, काम का तनाव, आर्थिक असुरक्षा और जलवायु परिवर्तन आदि ये सभी समस्याएं बताती हैं कि झूठा अहं व सुख-सुविधाओं पर अतिनिर्भरता कैसे बड़े स्तर पर खुशियों पर असर डालते हैं। मेरे विचार से कुछ नियम हमारे काम आ सकते हैं- # जीवन का एक उद्देश्य होता है, जिसे पूरा करके आप खुशी पा सकते हैं।
भीतरी प्रसन्नता को हमसे छीना नहीं जा सकता। इस भौतिक दुनिया में सच्चे रिश्तों द्वारा खुशी पाई जा सकती है। भटकने की बजाय वो करें जो आपको पसंद है। अपने डर और तनाव पर विजय पाएं। स्वस्थ मन, आपके तन को भी दुरुस्त रखेगा।
खुशी और संतुष्टि भरे कदम
जीवन का अर्थपूर्ण होना आवश्यक है और जितना प्रेरणादायी यह अर्थ हो उतना बेहतर है। खुशियां तब खत्म होने लगती हैं, जब आपको जीवन सारहीन लगने लगता है और आप अकेलापन महसूस करने लगते हैं। हम सुनते आए हैं कि ‘परिवार ही सब कुछ होता है’, लेकिन यह सच नहीं क्योंकि अर्थ और उद्देश्य ही सर्वोपरि है। आप काम, परिवार, प्रेम, निजी विकास, सेवा, शिक्षा, शौक, मित्रता और रचनात्मकता में से अपना अर्थ चुन सकते हैं। अधिकतर लोग परिवार, दोस्ती, शोक औरकाम को चुनते हैं, पर उन उच्च मूल्यों का क्या जो इनसे कहीं ज्यादा स्थाई और सुरक्षित खुशियां प्रदान कर सकते हैं। मैं अपने लिए प्रेम, त्याग, सेवा और निजी विकास को चुनूंगा। असल में एक समय बाद परिवार भी आगे बढ़ जाता है। इसलिए अपने जीवन के उद्देश्य ऊंचे रखिए, ताकि बदलाव आपको प्रभावित न कर पाए।
आंतरिक प्रसन्नता के बारे में हम इतना सुनते हैं कि वह अर्थहीन लगने लगती है। हालांकि, जब एकांत में बैठकर भी आप प्रसन्नता महसूस करें तो समझ लीजिए कि आप आंतरिक खुशी प्राप्त कर चुके हैं। एक वाक्य में कहा जाए तो यदि आप वर्तमान में जीने में खुशी महसूस कर सकते हैं, तो आप खुश रह सकते हैं।
भौतिकता की जगह रिश्तों पर ध्यान दें। अमेरिकी अर्थव्यवस्था के अनुसार ज्यादा महंगी, बड़ी और नई चीजें बेहतर हैं। हम इस सोच को तो नहीं बदल सकते, पर इतना समझ सकते हैं कि यह कितनी खोखली धारणा है। शोध बताते हैं कि अपनी जरूरत लायक पैसा कमा लेने के बाद उसका महत्व कम होने लगता है। यदि आप भी स्वयं का आकलन अपनी आय से करते हैं तो समस्या खड़ी हो सकती है, क्योंकि तब आपको हर समय अपने से बेहतर वेतन वाले दिखाई देते हैं। इसलिए ऐसे सच्चे रिश्तों का होना जरूरी है, जो आपको परिलक्षित करते हों। यह एक कम्प्यूटर या गाड़ी खरीदने से कहीं ज्यादा जटिल कार्य है, पर वास्तव में यही जरूरी है।
अपना ध्यान भटकने न दें। जितना ज्यादा समय आप स्मार्टफोन, इंटरनेट और वीडियो गेम पर खर्च करेंगे, उतना ही कम समय जरूरी कामों के लिए बच पाएगा। हम जानते हैं कि बड़प्पन कितना जरूरी है, पर रोजमर्रा के ये भटकाव करुणा व सहयोग के भावों को नष्ट कर देते हैं। # आधुनिक जीवन में दुनियाभर के साथ हरपल संवाद बनाकर रखा जा सकता है। पर, इसने असुरक्षा की भावना को बढ़ा दिया है क्योंकि कोई अजनबी कभी भी हमें नुकसान पहुंचा सकता है। आप इस बाहरी डर को कम करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकते, पर हर छोटी बात पर डर जाने की आदत पर काबू पा सकते हैं। अपने भीतर शांति अनुभव कर सकते हैं।
तनाव किसी परिस्थिति को लेकर आपकी प्रतिक्रिया का नाम है। लेकिन आपके भीतर तनावमुक्त रहने की शक्ति है। जब आप अपने अंतर्मन को जान लेते हैं तो बाहरी तनाव आपको प्रभावित नहीं कर पाता क्योंकि आपको पता होता है कि अपनी ऊर्जा कहां लगानी है।
शारीरिक स्वास्थ्य मानसिक सेहत पर निर्भर करता है। लोग अकसर बीमार होने के बाद इलाज पर ध्यान देते हैं। हम सेहत का महत्व जानते हुए भी उसे अनदेखा कर देते हैं। असल में अच्छी सेहत के लिए जिम में ज्यादा समय बिताने की बजाय अपनी सोच को बदलने की जरूरत है। दिमाग को समझना होगा कि हमारा शरीर रोगमुक्त और प्रसन्न रहना चाहता है।