टीकमगढ़। बाजार जैन मंदिर मे परम पूज्य आचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महाराज एवं श्रमणोपाध्याय श्री 108 विकसंत सागर महाराज ससंघ के मंगल पावन सानिध्य में नित्य नियम सामूहिक अभिषेक शांतिधारा की गई।दोपहर मे प्रभु पारसनाथ दिव्य अर्चना एवं कल्याण मंदिर विधान का आयोजन देशना दीदी एवं पंडित सागरमल जी के कुशल निर्देशन में किया गया। तत्पश्चात मुनि श्री आचार सागर जी महाराज का दीक्षा दिवस बड़े ही धूमधाम हर्षोल्लास उमंग के साथ मनाया गया। इस अवसर पर आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन का अवसर मुनि श्री आचार सागर एवं शास्त्र भेंट करने का मंगल सौभाग्य श्रमणोपाध्याय श्री विकसंत सागर महाराज ससंघ को प्राप्त हुआ। उपाध्याय श्री ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुये कहा कि टीकमगढ़ नगर वालों ने चातुर्मास मे सभी ने समय का सही उपयोग किया है। समय को साधना मे लगाओगे तो समयसार की अनुभूति करा देगा और समय को भोगो मे नष्ट करोगे तो दुःख का अनुभव करायेगा। तब निर्णय आपका है समय को कहा लगाना है? समय का जिसने दुरुपयोग किया है उसको कर्म ने ठुकराया है। समय की कीमत हीरे मोती जवाहरात से भी अधिक करना चाहिए हीरे मोती तो पुनः प्राप्त हो जायेगे परन्तु समय पुनः वापिस नहीं मिल सकता है। कार्यक्रम के पश्चात आचार्य श्री विमर्श सागर महाराज जी का मंगल विहार सोनागिरी जी के लिये एवं परम् पूज्य श्रमणोपाध्याय श्री 108 विकसंत सागर जी गुरुदेव का ससंघ मंगल विहार नैनागिरी की ओर हुआ। कर्यक्रम को उचाईओ तक पहुंचने मे राजेश जैन भट्टो, अंकेश भैया, अमन जैन सपोन, श्रीमती उषा जैन, श्रीमती वैशाली जैन, देशना दीदी विट्टो दीदी, नया मंदिर कमेठी, बाजार मंदिर कमेठी की सराहनीय भूमिका रही।