फ़रीदाबाद। आराध्य धाम दिगम्बर जैन जिनालय में चल रहे पंच कल्यानक महोत्सव के तीसरे दिन आज तीर्थकर बालक की बाल क्रीड़ाएं, उनकी शिक्षा, विवाह, राज्य संचालन व वैराग्य पथ पर गमन की क्रियाये सम्पन्न हुयी। सुबह जिनभिषेक के पश्चात पूज्य आचार्य पुष्पदंत सागर जी महाराज ने शांति धारा का आशीर्वाद प्रदान किया। तीर्थकर बालक की मोहक बाल क्रीड़ाएं रोमांचक रहीं। युवा होने पर उनका राज्याभिषेक व चक्रवर्ती पद की प्राप्ति,असीम धन धान्य व अतुल सम्पदा के होने पर भी मन में मुक्तिपथ पर अग्रसर होने के संस्कार विद्यमान थे व असीम भौतिक सुख के बीच रहकर भी वे पल्लवित हुए.सौंदर्य, वैभव व समृद्धि से अप्लावित हस्तिनापुर नगरी को छोड़ प्रभु ने दिगम्बर दीक्षा धारण कर ली व वन में तप के लिए चले गए.प्रभु के वन गमन के दृश्य बहुत भावुक करने वाले व मोह से विमुख करने वाले थे। अपने उदबोधन में पूज्य आचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी व आचार्य अरुण सागर जी ने कहा कि जीवन में तप, साधना से ही वांछित सच्चा सुख, स्वर्ग व मोक्षपद मिलता है। अन्न की फसल, सभी फल भरी गर्मी में तप कर ही मीठे रसीले आम या तृप्ति दायक व्यंजन बनते हैं. कच्चा आटा अंगारो पर तपकर स्वादिष्ट रोटी बनाता है अतः हम सभी को अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम,सतत साधना करनी चाहिए। आज के कार्यक्रम में अजय गौड़ ने आकर गुरूजी से आशीर्वाद लिया व सदैव सदकार्यों में सहयोग हेतु वचन दिया। कार्यक्रम में अमृता हॉस्पिटल फ़रीदाबाद, सर्वोदय हॉस्पिटल फ़रीदाबाद, वर्धमान महावीर सेवा सोसाइटी, जैन इंजिनियर सोसाइटी, सकल जैन समाज फ़रीदाबाद व बल्लभगढ़, विभिन्न सेवा दल, महिला मण्डल सराहनीय सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। प्रतिदिन संध्या कालीन आरती, संस्कृतिक कार्यक्रम व पूज्य आचार्य श्री पुष्पदंत सागर महाराज जी के शंका समाधान कार्यक्रम भी जन जन को आनंद प्रदान कर रहे हैं।