बोलखेड़ा। भगवान का सिर्फ एक ही फरमान जिओ ओर जीने दो सबको। संसार में सभी सुख चाहते हैं और सुख का एक ही मार्ग था, है और रहेगा वह है चित्त की पवित्रता अर्थात जब चित्त निर्मल होता है कषाय मंद हो जाती हैं विषय वासना से व्यक्ति जब ऊपर उठता है, जब पाप की कीचड़ आत्मा को संलिप्त नहीं कर पाती है तब निर्मल चित्त होता है। जब चित्त पवित्र होता है तो हर चेहरे पर अपना चित्र दिखाई देता है उक्त प्रवचन जम्बूस्वामी तपोस्थली पर विराजमान जैनाचार्य वसुनंदी महाराज ने श्रावकों से व्यक्त किये।
आचार्य ने कहा कि भगवान, परमात्मा, संत, अरिहंत,भगवंत, ऋषि, मुनि धर्माचार्य आदि ने यदि कोई भी फरमान जारी किया है चाहे वह उपदेश रूप में हो, आदेश रूप में हो, निर्देश संकेत रूप में हो, चाहे व्यक्ति विशेष के लिए हो, चाहे सभी को समझाने के लिए,चाहे अक्षर,अनक्षर किसी भी रूप में हो उसका सार एक ही है जियो और जीने दो अर्थात जिस प्रकार आप अपने लिए दूसरे का व्यवहार चाहते हैं उसी प्रकार दूसरे के लिए भी आप स्वयं व्यवहार करें उसे भी जीने दे और स्वयं भी जिए यही मानवता का सिद्धांत है।
आचार्य ने विस्तृत विवेचन करते हुए कहा की फरमान का अर्थ आदेश ही होता है किन्तु आदेश और उपदेश दोनों में अंतर भी होता है।आदेश का पालन करना अनिवार्य होता है जबकि उपदेश सुने जाते हैं वह शक्ति के अनुसार पालन किए जाते हैं जहां आदेश सख्त होता है वही उपदेश व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन के लिए परिस्थिति जन्य होता है। प्रत्येक मानव को भगवान के फरमान को आदेश समझ कर ही मानना चाहिए और भगवान ने यही फरमान दिया है कि “जियो और जीने दो सबको”इसी में सबका कल्याण निहित है। तपोस्थली के प्रचार प्रभारी संजय जैन बड़जात्या ने बताया कि अचार्य संघ के सानिध्य में 28 दिसंबर से 1 जनवरी तक पच्चीस समोशरण विधान का भव्य आयोजन तपोस्थली बोलखेड़ा पर किया जाएगा।