Saturday, September 21, 2024

सक्षम होते हुए भी अनुमोदना करना मायाचार कहलाता है: आचार्य विनित सागर

नवदीक्षार्थी सार्थक भैया की गोद भराई का कार्यक्रम हुआ आयोजित
प्रारम्भिक अवस्था से ही दीक्षा की भावना गुरु ज्ञानभूषण मिलते ही हुई पूर्ण :सार्थक भैया

कामां । स्वयं और पर के कल्याणार्थ संयम के पथ पर आरुण हो जाना एवं सभी प्रकार के कर्मों की निर्जरा करने के लिए जेनेश्वरी दीक्षा अंगीकार की जाती है। दीक्षा लेने का अभिप्राय है कि ब्रह्मचर्य व्रत लेकर ग्रहस्थ जीवन को त्यागना और वैराग्य को धारण करना। सामान्य रूप से दीक्षा शब्द सरल हो सकता है लेकिन व्यवहारिक रूप से दीक्षा लेना और इस मार्ग पर आगे बढ़ना दुर्लभ से अति दुर्लभ कार्य होता है। उक्त उद्गार कामां के विजय मती त्यागी आश्रम में नव दीक्षार्थी सार्थक भैया की गोद भराई के अवसर पर दिगंबर जैन आचार्य विनीत सागर महाराज ने व्यक्त किए। आचार्य ने कहा कि अनुमोदना भी सक्षमता के आधार पर की जाती है यदि आप किसी कार्य को करने में सक्षम नहीं है तब ही आपको अनुमोदना करनी चाहिए अन्यथा ऐसी अनुमोदना भी मायाचार के अंतर्गत आती है। जैन धर्म मे सबसे कठिन मार्ग दीक्षा लेना ही है किंतु जीवन का वास्तविक और सार्थक मार्ग भी यही है। वर्षायोग समिति में महामंत्री संजय सर्राफ ने बताया कि ब्रह्मचारी सार्थक भैया की गोद भराई कार्यक्रम का शुभारंभ आचार्य ज्ञान भूषण महाराज के चित्र के समक्ष जैन समाज के पदाधिकारियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। इस अवसर पर धर्म जागृति संस्थान के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री संजय जैन बड़जात्या ने कहा कि वर्तमान में विलासिता,आराम दायक, सुख सुविधाओं की कोई कमी नही है फिर भी सांसारिक चमक व भौतिकता को त्याग कर वैराग्य धारण कोई बिरला ही व्यक्ति कर पाता है। कार्यक्रम में मनोज्ञ धाम मेरठ से अंजना दीदी,ललिता दीदी,अजित भैया,मनीषा जैन कामां,महावीर प्रसाद जैन ने संदीप से सार्थक बने नवदीक्षार्थी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला।
वैराग्य की प्रारम्भिक अवस्था से ही प्रबल इच्छा थी । कार्यक्रम में नव दीक्षार्थी सार्थक भैया ने कहा कि सांसारिक जीवन में रहते हुए भी बचपन से ही मेरी इच्छा वैराग्य के पथ पर जाने की थी । किंतु विवाह होने के बाद पारिवारिक बंधनों में जकड़ गया था और जीवन में एक गुरु की कमी नजर आ रही थी ।जैसे ही आचार्य ज्ञान भूषण महाराज का सानिध्य मिला तो वह कमी पूरी हो गई और पग मोक्ष मार्ग के पथ पर रखने को तैयार हो गया। नवदीक्षार्थी का हुआ सम्मान कार्यक्रम के दौरान विनीत सागर वर्षा योग समिति एवं जैन समाज कामा के पदाधिकारियों ने नव दीक्षार्थी सार्थक भैया का मुकुट माला पहना कर सम्मान किया तो वहीं अन्य त्यागी व्रतियों का भी सम्मान किया गया । दौलत एंड पार्टी की मधुर संगीत लहरियों पर उपस्थित जैन श्रावक श्राविका ओने भक्ति करते हुए वैराग्य की अनुमोदना की। इस अवसर पर सकल जैन समाज, वर्षा योग समिति कामा, अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन युवा परिषद, ज्ञान विजया महिला मंडल ,धर्म जागृति संस्थान ,चंद्रप्रभु दिगंबर जैन महिला मंडल, अखिल भारतीय दिगंबर जैन महिला परिषद, भक्तामर मंडल के सदस्य व पदाधिकारियों ने नव दीक्षार्थी की गोद भराई की तो वही संपूर्ण जैन समाज ने भी इस कार्य मे बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

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