Friday, November 22, 2024

जैन मंदिर में हुआ श्रीपाल मैना सुंदरी नाटक

अम्बाह। अष्टानिका पर्व के अवसर पर जैन समाज की महिलाओं द्वारा नाटक मंचन कर धर्मानुसार श्री सिद्धचक्रमहामंडल विधान के महत्व को नाटकीय स्वरूप दिया गया। जिसे उपस्थित भक्तों ने सराहा। श्रीमती नीलम जैन झाबुआ के मार्गदर्शन में महिलाओं द्वारा भजन “फल पायो मैना रानी” का गुणगान किया गया।नाटक में बताया गया कि बेटी की मर्जी पूछे बिना राजा पहुपाल ने अपनी बेटी मैना सुंदरी की शादी श्रीपाल नाम के एक ऐसे व्यक्ति से तय की जिसे कोढ़ की बीमारी थी। मैना सुंदरी की माता निर्गुनमति व राज्य के कई लोगों के लाख मना करने के बाद भी बेटी ने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए श्रीपाल से ब्याह रचाया। दोनों ने दिगंबर जैन मंदिर में मुनि महाराज के दर्शन किए, जहां मुनि महाराज ने उन्हें श्री सिद्धचक्रमहामंडल विधान का आठ दिवसीय पूजन कर यंत्र पर अभिषेक किए गए जल गंधोदक को अपने शरीर पर छींटे लगाने को कहा। मैना सुंदरी ने भक्ति भाव से कोढ़ की बीमारी से पीड़ित अपने पति को वह गंधोदक लगाया जिसके परिणाम स्वरूप राजा श्रीपाल कोढ़ की बीमारी से मुक्त हो गया। राजा श्रीपाल ने पूर्व भव में कोढ़ की बीमारी से पीड़ित एक दिगंबर जैन मुनि की अपने सहभागियों के साथ निंदा की थी। जिसके फलस्वरूप उसे व सहभागियों को भी कोढ़ की बीमारी हो गई थी। बीमारी से मुक्ति के बाद राजा श्रीपाल ने कभी किसी की निंदा नहीं करने का वचन लिया। वही कार्यक्रम में प्रमुख रूप से नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती अंजलि जैन मौजूद थीं जिन्होंने धर्म के महत्व को समझाया और कहा कि धर्म का पालन करने से जीवन में बड़े से बड़े संकट टल जाते है।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article