सिद्ध चक्र महामण्डल विधान में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी
विमल जोला/निवाई। जैन मुनि शुद्ध सागर महाराज एवं क्षुल्लक अकम्प सागर महाराज के सानिध्य में जैन बिचला मंदिर पर आठ दिवसीय संगीतमय सिद्ध चक्र महामण्डल विधान में श्रद्धालुओं ने 248 श्री फल अर्ध्य चढ़ाकर सिद्ध चक्र महामण्डल अनुष्ठान की रचना की। विधान की शुरुआत सोधर्म इन्द्र मूलचंद त्रिलोक चंद पांडया धनपति कुबेर अरुण कुमार अर्पित कुमार लटुरिया यज्ञनायक महावीर प्रसाद छाबड़ा हेमचंद संधी एवं धर्म चंद चंवरिया ने दीप प्रज्वलित कर पूजा शुरू करवाई। कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी विमल जौंला एवं राकेश संधी ने बताया कि इन्द्र इन्द्राणियो ने अष्टान्हिका महापर्व अनुष्ठान में श्रद्धालुओं ने श्री जी की शांतिधारा एवं अभिषेक करके सिद्ध चक्र एवं नन्दीश्वर दीप की रचना करके संगीत के साथ पूजा अर्चना की। विधान में प्रतिष्ठाचार्य अशोक जैन धानी जबलपुर के मंत्रोच्चार द्वारा श्रद्धालुओं ने विधान मण्डप पर 108 ऊं ह्लीं असि आउसा नमः के जाप किए। इस दौरान भावना एण्ड पार्टी जबलपुर ने भजनों की प्रस्तुतियां दी जिसमें “पंखिडा तू उड़ ना जाना निवाई नगर में, “रंगमा रंगमा रंगमा रे प्रभु थारा ही रंग में रंग गयो रे, आदि अनेक मधुर भजनों पर श्रद्धालुओं ने भक्ति नृत्य किए। इस दौरान जैन मुनि शुद्ध सागर महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म का चोला पहनने से कोई धर्मात्मा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि भारत अपनी आध्यात्मिक संस्कृति के लिए विश्व में अग्रणी रहा है। यहां की मां अपने पुत्रों में वीरत्व के संसार शरीर भोगों की वीरक्तता के संस्कार डालती थी। तब वह सन्तान भी देव धर्म गुरु और माता पिता तथा देश व समाज की सेवा में अपने प्राण समर्पित कर देती थी। उन्होंने कहा कि संस्कारित जीवन से आत्मा परमात्मा भी बन जाता है। संस्कारों की सर्वत्र उपयोगिता है। इसी प्रकार वीतरागता से अनन्त गुणों से संस्कारित होने पर पतित आत्मा की पुनीत बन जाती है। इस अवसर पर महेंद्र संधी सूरजमल सोगानी नवरत्न टोंग्या विमल सोगानी पदमचंद जैन सुरेश ईटावा सुरेन्द्र टोंग्या राजेश सांवलिया दिनेश संधी पुनित संधी सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।