Thursday, November 21, 2024

आलस्य संक्रामक रोग है: महासती धर्मप्रभा

सुनिल चपलोत/चैन्नई। आलस्य संक्रामक रोग है। सोमवार साहुकारपेट जैन भवन मे महासती धर्मप्रभा ने श्रध्दालूओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि आलसी व्यक्ति परिश्रम नहींं कर सकता है वो हमेशा दूसरों के पराधीन रहता है और रोगो और दुखों से छुटकारा नहींं प्राप्त कर सकता है आलस्य एक प्रकार का अन्धकार है, जो आत्मा पर शक्तियों पर और मनुष्य की भावी उन्नति एवं प्रगति पर तुषारापात कर देता है। आलसी पडा़-पड़ा यही सोचा करता है कि मेरा कार्य कोई अन्य व्यक्ति कर दे,ऐसा इंसान जीवन मे कभी भी तरक्की नहींं कर सकता है। आलसी वृत्ति को छोड़ने पर वह निश्चय ही यश प्रतिष्ठा और कीर्ति प्राप्त कर जीवन को सफल बना सकता है। साध्वी स्नेहप्रभा ने कहा कि मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं होता है।जो व्यक्ति भाग्य के भरोसे बैठा रहता है उनका भाग्य भी बैठा रहता है। जो हिम्मत बाँधकर अपनी इच्छा शक्ति को मजबुत कर मन में विश्वाश जगाकर खड़ा हो अपने लक्ष्य पाने को आतुर रहता है ऐसा व्यक्ति ही अपने भाग्य को बदल सकता है और अपने जीवन का निर्माण और आत्मा उत्थान कर सकता है आलस्य और प्रमाद करने वाला मनुष्य जीवन मे सफलता प्राप्त नहींं कर पाएगा। साहुकारपेट श्रीसंघ के कार्याध्यक्ष महावीरचंद सिसोदिया ने जानकारी देते हुए बताया की धर्मसभा मे अनेक श्रावक श्राविकाओं के साथ श्री एस.एस.जैन संघ के अध्यक्ष एम.अजितराज कोठारी,महावीर कोठारी मंत्री सज्जनराज सुराणा, विजयराज दुग्गड़, संजय खाबिया आदि की उपस्थिति रही इसदौरान साध्वी धर्मप्रभा से उपवास आयंबिल और एकासन व्रत के कहीं भाई -बहनों ने प्रत्याखान लिए। नियमित प्रवचन का समय प्रातः.9:15 से 10:15 बजें तक है।

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