Saturday, November 23, 2024

मानव है संस्कृति का निर्माता: गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी

गुंसी, निवाई। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ , गुन्सी (राज.) में भारत गौरव गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी आस – पास के सभी समाजों में धर्म का परचम फहरा रही है । माताजी के मुखारविंद से आज की शांतिधारा करने का सौभाग्य अनोप देवी जैन जनकपुरी जयपुर, महेश जी मोटुका व शैलेंद्र जी जैन निवाई वालों ने प्राप्त किया । शांति प्रभु के पादमूल में शांति विधान करने का अवसर कौशल जयपुर वालों को मिला। पूज्य माताजी ने सभी को मंगल उद्बोधन में संस्कृति का महत्व समझाते हुए कहा कि – संस्कृति जीवन के निकट से जुड़ी है। यह कोई बाह्य वस्तु नहीं है और न ही कोई आभूषण है जिसे मनुष्य प्रयोग कर सकें। यह केवल रंगों का स्पर्श मात्र भी नहीं है। यह वह गुण है जो हमें मनुष्य बनाता है। संस्कृति के बिना मनुष्य ही नहीं रहेंगे। संस्कृति परम्पराओं से, विश्वासों से, जीवन की शैली से, आध्यात्मिक पक्ष से, भौतिक पक्ष से निरन्तर जुड़ी है। यह हमें जीवन का अर्थ, जीवन जीने का तरीका सिखाती है। मानव ही संस्कृति का निर्माता है और साथ ही संस्कृति मानव को मानव बनाती है। आगामी 10 दिसम्बर 2023 को पूज्य माताजी ससंघ के पिच्छिका परिवर्तन एवं 108 फीट उत्तुंग कलशाकार सहस्रकूट जिनालय के शुभारम्भ पर भूमि शुद्धि का कार्यक्रम रहेगा । आप सभी इस आयोजन के सहभागी बनें।

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