नरक में झेली वेदना नहीं भूलने पर भीतर से हो सकता बदलाव
उत्तराध्ययन आगम की 27 दिवसीय आराधना का 16वां दिन
भीलवाड़ा। सुनील पाटनी । जीवन में हम थोड़े से कष्ट आते ही भगवान को कोसना शुरू कर देते है लेकिन पूर्व भवों में जिन कष्टों को भुगत कर आए है उनको भी याद रखें। यदि हम घर में रहते हुए एक-दूसरे को सताते व कष्ट देते है तो ये चरित्र नारकीय जैसा है। एक-दूसरे को परेशान करना व सताना गलत है। ये स्वभाव हमारा है तो समझ लेना या तो नरक से आए है या नरक जाने की तैयारी है। ये विचार श्रमणसंघीय सलाहकार सुमतिप्रकाशजी म.सा. के सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने शांतिभवन में शुक्रवार को परमात्मा भगवान महावीर की अंतिम देशना उत्तराध्ययन आगम की 27 दिवसीय आराधना ‘‘आपकी बात आपके साथ’’ के 16 वें दिन व्यक्त किए। इसके तहत आगम के 36 अध्यायों में से 19वें अध्याय मृगापुत्रीय का वाचन करने के साथ इसके बारे में समझाया गया। उन्होंने इस अध्याय के माध्यम से नरक में मिलने वाली यातनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि यदि नरक की गर्मी नहीं सहनी है तो यहां की गर्मी सहने की आदत डाल लो। मुनि दर्शन से आत्म दर्शन की यात्रा शुरू हो जाती है। वर्तमान में जो शानशौकत है वह पिछले जन्म के अच्छे कर्मों के कारण है। नरक के अंदर जो वेदना झेली उसे नहीं भूले तो भीतर में परिवर्तन हो जाएगा। आगमकारों ने कहा कि नरक में इतना समय भी नहीं मिल पाता कि आंखे खुले और बंद हो सके। मुनिश्री ने कहा कि संयमी जीवन उनके लिए आसान नहीं है जो सांसारिक भोग में डूबे हुए है। एक बार जीवन में वैराग्य की लौ जल जाने पर संयमी जीवन कठिन नहीं रह जाता है। शुरू में गायन कुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने प्रेरक गीत प्रस्तुत किया। प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य मिला। लक्की ड्रॉ के माध्यम से भाग्यशाली श्रावक-श्राविकाओं को प्रभावना में चांदी के सिक्के लाभार्थी परिवारों द्वारा प्रदान किए गए। धर्मसभा में अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ के अध्यक्ष राजेन्द्र चीपड़ ने किया। संचालन शांतिभवन श्रीसंघ के मंत्री राजेन्द्र सुराना ने किया।
सास-बहू की जोड़ी का तप साधना में साथ
धर्मसभा में पूज्य समकितमुनिजी ने सांगानेर निवासी मंजू सुराणा को 9 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण कराए तो उनकी बहू संगीता सुराणा ने 7वें उपवास के दिन ही आठवें उपवास के प्रत्याख्यान भी ग्रहण कर लिए। नौ उपवास करने वाली तपस्वी का श्रीसंघ की ओर से महिला मंडल की अध्यक्ष स्नेहलता चौधरी ने बहुमान किया। तप-साधना करने वाली सास-बहू की जोड़ी की श्रावक-श्राविकाओं द्वारा अनुमोदन करते हुए हर्ष-हर्ष, जय-जय के जयकारे लगाए गए। पूज्य मुनिश्री ने भी तप साधना करने वालों के प्रति मंगलभावना व्यक्त की।
दोस्त हो या दुश्मन सबके प्रति रखों समभाव
धर्मसभा में समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि शरीर दुःख व क्लेशों का बर्तन है। दौलत, धन, जमीन, जायदाद सब एक दिन छोड़कर जाना ही होगा। ऐसे में उस धर्म की कमाई करे जो साथ जाए और कोई परेशानी नहीं आए। दोस्त हो या दुश्मन सबके प्रति समभाव रखे। सबके प्रति एक समान व्यवहार करना बहुत मुश्किल होता है लेकिन धर्म की कमाई के लिए ऐसा करना चाहिए। संयमी जीवन बहुत मुश्किल होता है।
समवरशरण ध्यान एवं शालिभद्र जाप का आयोजन 22 को
पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने बताया कि आचार्य सम्राट देवेन्द्रमुनिजी म.सा. की जयंति एवं धनतेरस के पावन अवसर पर 22 अक्टूबर को शांतिभवन में सुबह 9 से 10.15 बजे तक समवरशरण ध्यान एवं शालिभद्र जाप का आयोजन होगा। जाप समापन पर शालिभद्र के हाथों 33 पेटियां लक्की ड्रॉ विजेताओं को दी जाएगी। जो भी श्रावक-श्राविकाएं इस कार्यक्रम में शामिल होना चाहे वह भवान्त मुनिजी म.सा. एवं महिला मंडल की मंत्री सरिता पोखरना से सम्पर्क कर कूपन प्राप्त कर सकते है। भगवान महावीर निर्वाण कल्याणक के उपलक्ष्य में तेला तप आराधना भी 22 अक्टूबर से शुरू हो रही है। अधिकाधिक श्रावक-श्राविकाओं को तेल तप आराधना करने के लिए प्रेरणा दी जा रही है।