सुनिल चपलोत/चैन्नई। धर्म की पाल बांधने से जीवन संवरता है और आत्मा को मोक्ष । मंगलवार साहुकारपेट जैन भवन में महासती धर्मप्रभा ने श्रावक-श्राविकाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि संसार मे जितनें भी महापुरुष हुए उन्होंने धर्म की शरण लेकर अपनी आत्मा को मोक्ष दिलवाया। संसार में भक्ति का मार्ग मनुष्य के लिए मोक्ष की प्राप्ति के द्वार खोलता है परंतु भक्ति पूर्ण लगन से होनी चाहिए। भक्त पूरी तरह से स्वयं भी भगवान की शरण में सौंप दे। सांसारिक बातों से कोई मोह न रखें तो वह धर्म की पाल को बांधकर अपनी आत्मा को मोक्ष दिलवा सकता है।व्यक्ति को भाग्यवादी न बनकर कर्मवादी बनना चाहिए।अच्छा और सात्विक आचरण एवं अच्छे कर्मों के द्वारा ही व्यक्ति इस जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। मनुष्य को यह नहींं सोचना चाहिए कि दुसरें क्या कर रहे है उसे स्वंय की सोच रखकर अपनी आत्मा के उत्थान का लक्ष्य लेकर धर्म के सहारा लेकर जीवन को सुखमय बनाना चाहिए । तभी वह आत्मा को संसार से मुक्ति दिलवा पाएगा। साध्वी स्नेहप्रभा ने श्रीमद उत्तराध्ययन सूत्र के छब्बीसवें अध्याध्य सामायरी पाठ का वर्णन करते हुए कहा कि बड़ो की आज्ञा का पालन जो संत हो या गृहस्थ करता है तो वह महान और बड़ा बन जाएगा। ज्ञान जीवन मे आ गया और बड़ो का सम्मान करना नहीं आया तो उसका ज्ञान प्राप्त करना व्यर्थ है बड़ो के प्रति नम्र और विनय के गुण आने पर ही वह संसार में महान बन पाएगा।श्रीसंघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देतें हुए बताया धर्मसभा मे उपवास के आयंबिल के प्रत्याख्यान लेने वालें भाई-बहनों का सुरेश चंद डूगरवाल,शम्भूसिंह कावड़िया मंत्री सज्जनराज सुराणा और पृथ्वीराज वाघरेचा ने स्वागत किया।