सुनिल चपलोत/चैन्नई। कर्म भगवान को भी नहींं छोड़ते है। शुक्रवार साहुकारपेट जैन भवन मे महासती धर्मप्रभा ने आयोजित धर्मसभा में श्रध्दांलूओ को सम्बोधित करतें हुए कहा कि कर्मफल भोगने से स्वंय भगवान नहींं बच सके तो अन्य संसारिक जीवों की क्या बिसात है जो वह कर्मो से बच पाएंगे। संसार में कर्म ही प्रधानता है कर्मो का फल तो लोगों को भोगना ही पड़ता है,चाहे वह इस जन्म में भोगे या अगले जन्म में भोगें बिना संसार से छुटकारा नहीं मिल सकता है। दुनिया ऐसा को प्राणी नहीं हुआ है जिसने कर्म से बचकर संसार से मुक्ति पाई हो। बिना भुगतान किये कर्म पीछा नहीं छोड़ते है चाहे हंस भुगते या रोकर कर्म किसी को भी नहीं बख्शते है। मनुष्य कर्म बांधते वक्त यह सोचता है उसे कौई नही देख रहा है लेकिन कर्मो के एक नहीं असंख्य आंखे है लाख जतन करले मनुष्य पर कर्म छिपाऐ छिपने वाले नहीं है। साध्धी स्नेहप्रभा ने श्रीमद उत्तराध्ययन सूत्र के बीसवें और इक्कीस वें अध्याय महानियठिज्यं -समुदृपालीय पाठ का वर्णन करतें हुए कहा कि धर्म सुरक्षा कवच है जो मनुष्य धर्म की रक्षा करता है तो धर्म उसकी सुरक्षा कवच बनकर उसकी रक्षा करता है। अनिती और अधर्म के मार्ग पर चलने वाला इंसान संसार से मुक्ति नहीं पा सकता है,पर धर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति ही संसार से मुक्ति प्राप्त करके वह अपनी आत्मा को मोक्ष दिला सकता हैँ।इसदौरान धर्मसभा मे बाहर से पधारें अतिथियों का श्रीसंघ के हस्तीमल खटोड़,सुरेश डूगरवाल, शम्भूसिंह कावड़िया मंत्री सज्जनराज सुराणा आदि ने गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया। श्रीसंघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देते हुए बताया 5 नवम्बर रविवार को प्रातः 8: 30 से 11:00 बजें तक साहुकारपेट के जैन भवन में महासती धर्मप्रभा, साध्वी स्नेहप्रभा के सानिध्य में विशाल स्थर पर 108 पैसिठिया यंत्र के महाजाप होगा। जिसमे चैन्नई महानगर के उप नगरों के श्रध्दांलूओ के अलावा अनेक क्षेत्रों के श्रध्दांलू भाई-बहन सामूहिक रूप से साध्वीवृंद के साथ पैसिठिया यंत्र के जाप करेंगे।